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मंगलवार, 10 दिसंबर 2013

चुनाव नतीजों के बाद बिलासपुर जिले के बने नए सियासी समीकरण

* भाजपा की नई सरकार में अमर का बढ़ सकता है वजन  
* बद्रीधर दीवान का बढ़ सकता है ओहदा 
* रेणु और अमित जोगी बदल सकते हैं कांग्रेस की दशा-दिशा 
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के सात विधानसभा क्षेत्रों में से तीन भाजपा और चार सीट कांग्रेस के हाथ आने से सियासी समीकरण में बदलाव के आसार दिख रहे हैं। बिलासपुर से लगातार चौथी बार जीत कर इतिहास रचने वाले अमर अग्रवाल और बेलतरा के बुजुर्ग भाजपा प्रत्याशी बद्रीधर दीवान की जीत की हैट्रिक से प्रदेश में इन दोनों का राजनैतिक कद बढ़ना तय माना जा रहा है। भाजपा की नई सरकार में अमर अग्रवाल का वजन बढ़ने की पूरी संभावना है। दीवान का ओहदा भी बढ़ सकता है। बिल्हा से दिग्गज भाजपा प्रत्याशी और विधान सभा अध्यक्ष धरम लाल कौशिक तथा मस्तूरी से भाजपा प्रत्याशी और पूर्व मंत्री डा.कृष्णमूर्ति की करारी हार का सीधा सियासी फायदा अमर अग्रवाल और बद्रीधर दीवान को मिलेगा। जबकि मरवाही से जिले समेत पूरे प्रदेश में रिकार्ड मतों से जीतने वाले जोगी पुत्र अमित और कोटा से तीसरी दफे विजयी जोगी की पत्नी डा. रेणु छत्तीसगढ़ कांग्रेस की दशा और दिशा बदलने में अब अहम भूमिका अदा कर सकती हैं। खुद अजीत जोगी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चरणदास महंत के कमजोर प्रदर्शन को भुनाने का कोई मौक़ा अब हाथ से जाने नहीं देंगे। 
छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण से पहले भी अविभाजित मध्यप्रदेश के वक्त नई सरकार के मंत्रिमंडल में बिलासपुर और कोटा विधानसभा क्षेत्र से जीते प्रत्याशी का दबदबा रहा है। वर्ष 1951 से लेकर 1985 तक के विधान सभा चुनाव में बिलासपुर सीट पर कांग्रेस का वर्चस्व रहा। पहले कांग्रेस का अभेद्य गढ़ माने जाने वाले बिलासपुर से निरंतर कांग्रेस प्रत्याशी और पत्रकार बीआर यादव ने अपनी जीत की हैट्रिक बनाई थी। लेकिन वर्ष 1990 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी और हॉटल व्यवसायी मूलचंद खंडेलवाल से पराजित होने पर बीआर यादव शहर में लगातार चौथी बार जीत का इतिहास रचने से चूक गए थे। जबकि इस बार भाजपा प्रत्याशी और स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल ने लगातार चौथी बार जीत दर्ज कर शहर में सियासी इतिहास रचने का श्रेय हासिल किया है। उन्होने सीधे मुकाबले में कांग्रेस की प्रत्याशी और महापौर श्रीमती वाणी राव को 15599 मतों से पराजित कर कीर्तिमान स्थापित किया है।अमर अग्रवाल को कुल 72255 और श्रीमती वाणी राव को 56656 वोट मिले। इनके अलावा यहां से अन्य तेरह प्रत्याशी चुनाव समर में थे लेकिन इनमें से कोई भी 850 वोट भी हासिल न कर सका। इन तेरह प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। जबकि प्राप्त मत की दृष्टि से नोटा बटन (इनमें से कोई नहीं) तीसरे क्रम पर रहा। 3669 मतदाताओं ने नोटा बटन दबा कर किसी भी प्रत्याशी को योग्य नहीं माना।   
अमर अग्रवाल अपनी पिछली तीन चुनावी जीत से बनी साख को इस बार भी भुनाने में सफल रहे। वे शहर के निरंतर विकास के मुद्दे पर मतदाताओं का भरोसा जीतने कामयाब रहे। नागरिकों को सीवरेज प्रोजेक्ट से हुई परेशानियों से चिंतित और विचलित रहे अमर ने मदद का मरहम लगा कर नाराज लोगों को अपने पाले में कर लिया था। कांग्रेस प्रत्याशी महिला होने के कारण उन्होंने चुनाव प्रचार में रणनीति के तहत महिला कार्यकर्ताओं और महिला मतदाताओं को ज्यादा तव्वजो दी। बीते पांच साल के दौरान उन्होंने हर समाज समुदाय के प्रमुख लोगों से सतत संपर्क बनाये रखा। समाज के विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए अपनी विधायक निधि से लाखों रूपयों की सहायता राशि भी दी। अपने सिपहसलारों से यह जुमला भी प्रचारित कर रखा है कि "अमर भैय्या ने किसी को फायदा नहीं पहुँचाया है तो किसी का नुकसान भी नहीं किया है।" यह मिथक उनके नियोजित चुनाव प्रबंधन का एक हिस्सा है।बहरहाल, पिता स्वर्गीय लखीराम अग्रवाल की मजबूत राजनैतिक विरासत का लाभ लम्बे वक्त तक अमर अग्रवाल को मिलता रहा है लेकिन अब इन्होने स्वयं अपनी सुदृढ़ सियासी जमीन तैयार कर ली है। वित्त मंत्री रहने के दौरान उनके चर्चित इस्तीफा प्रकरण से हुआ सियासी गड्ढा भी कब का पट चुका है। आबकारी, स्वास्थ्य और नगरीय प्रशासन मंत्री रहते हुए अपने दामन को पाकसाफ रखने उन्हें काफी मशक्कत करनी पडी। लगातार चौथी बार जीत का झंडा लहराने वाले अब अमर कद्दावर भाजपा नेता के रूप में उभरे हैं। जाहिर है इस बार प्रदेश की नई सरकार में रमन सिंह उनका वजन बढ़ाने में कोई संकोच नहीं करेंगे। उनका दर्जा रमन मंत्रिमंडल में दूसरे नंबर के सदस्य बतौर रह सकता है। 
वहीं दूसरी तरफ बेलतरा विधान सभा से जीतने वाले भाजपा के उम्रदराज प्रत्याशी और छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम के अध्यक्ष बद्रीधर दीवान का भी अब सियासी वजूद बढ़ गया है। अविभाजित मध्यप्रदेश के वक्त वे राज्य परिवहन निगम के उपाध्यक्ष थे। वे छतीसगढ़ विधान सभा के उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी भी सम्हाल चुके हैं। इनके राजनैतिक और प्रशासनिक अनुभव को ध्यान में रखते हुए इस बार डा. रमन सिंह उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी दे कर समानित कर सकते हैं। सनद रहे कि बद्रीधर दीवान ने वर्ष 2003 के चुनाव में सीपत सीट से कांग्रेस प्रत्याशी रमेश कौशिक और वर्ष 2008 में परिसीमन के पश्चात नए नाम से बनी बेलतरा सीट से कांग्रेस के भुवनेशवर यादव को हराया था। इस बार फिर उनका मुकाबला भुवनेश्वर यादव से हुआ, जिसमें बद्रीधर दीवान 5728 मतों से विजयी हुए। बद्रीधर दीवान को कुल 50890 और भुवनेश्वर को 45162 वोट मिले। यहाँ सत्रह प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। जातिगत समीकरण और कांग्रेस के वोट काटू प्रत्याशियों की मौजूदगी का फायदा भी इन्हें मिला। इस तरह बद्रीधर दीवान जीत की हैट्रिक बनाने में सफल रहे।                         
जहाँ तक कांग्रेस खेमे में चुनावी नतीजों के बाद उपजे सियासी समीकारण का सवाल है तो इस परिप्रेक्ष्य में अजीत जोगी के कट्टर समर्थक सियाराम कौशिक की दलीय स्थिति भी मजबूत होगी। बिल्हा विधान सभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी सियाराम कौशिक ने भाजपा के दिग्गज प्रत्याशी और विधान सभा अध्यक्ष धरम लाल कौशिक को 10968 मतों से पराजित कर खलबली मचा दी है। सियाराम को कुल 83598 और धरम लाल को 72630 मत हासिल हुए। यहां कुल पंद्रह उम्मीदवार थे। सियाराम पूर्व में भी बिल्हा से कांग्रेस विधायक रह चुके हैं। अजीत जोगी ने अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगा कर राहुल फार्मूले को शिथिल करवा कर इन्हें टिकट दिलवाया था। इनके क्षेत्र में प्रचार और जन सभा की कामयाबी के मामले में अजीत जोगी नरेंद्र मोदी पर भारी पड़े। अब सियाराम को संगठन में जोगी सम्मानजनक पद दिलवा सकते हैं।   
वहीं दूसरी तरफ जोगी पत्नी और पुत्र का सियासी जलवा भी बढ़ गया है। कोटा विधान सभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी डा रेणु जोगी लगातार तीसरी बार जीती है। उन्होंने भाजपा के काशी राम साहू को 5089 मतों से हराया। डा. रेणु जोगी को कुल 58390 और काशी राम साहू को 53301वोट मिले। यहां 19 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। संगठन में अब तक उपेक्षित रही डा. रेणु जोगी को अब एक नए शक्ति केंद्र के रूप में उनके पति द्वारा प्रोजेक्ट करवाने में जुगत तेज कर दी जायेगी। अजीत जोगी द्वारा पुत्र अमित को अपनी मरवाही सीट से रिकार्ड मतों से चुनाव जीता कर नए राजनैतिक समीकरण का अहसास करा दिया है। राजनैतिक उत्तराधिकारी बतौर अमित जोगी अब संगठन में भूचाल ला सकते हैं।       
गौरतलब है कि मरवाही विधानसभा क्षेत्र से अमित जोगी 46250 रिकार्ड मतों से जीते हैं। उन्होने भाजपा प्रत्याशी समीरा पैकरा को हराया है। अमित जोगी को कुल 82909 और समीरा पैकरा को 36659 मत प्राप्त हुए। यहां कुल दस प्रत्याशी थे। अमित की जीत के आंकड़े जिले ही नहीं बल्कि पूरे राज्य में एक कीर्तिमान स्वरूप है। अमित ने अपने पिता की जीत का रिकार्ड भी तोड़ दिया है। 
अजीत जोगी ने इस बार मस्तूरी विधान सभा क्षेत्र से भी अपनी साख दांव पर लगा दी थी। उन्होंने यहाँ से कांग्रेस का टिकट नए चहेरे दिलीप लहरिया को दिलाया था। इस क्षेत्र के जनप्रिय लोक कलाकार दिलीप ने भाजपा सरकार के पूर्व मंत्री डा. कृष्णमूर्ति बांधी को 24146 मतों से करारी शिकस्त दी। दिलीप लहरिया को कुल 86509 और डा. कृष्णमूर्ति बांधी को 62363 वोट मिले। यहां कुल तेरह प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे थे। डा. बांधी की शर्मनाक हार की असली वजह क्षेत्र में उनकी निष्क्रियता, दुर्व्यवहार और दुष्कर्म संबंधी लगे आरोप को मानी जा रही है। विजयी दिलीप को भी संगठन में सक्रिय कराने की कवायद में अजीत जोगी जुटे हैं।
- दिनेश ठक्कर "बापा"