रामनामियों की रामनवमी
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17 अप्रैल, 1994 को जनसत्ता, दिल्ली के रविवारी अंक में "रामनामियों की रामनवमी" शीर्षक से मेरा आलेख प्रकाशित हुआ था. इसकी कतरन आज भी मेरे संग्रह में सुरक्षित रखी हुई है, जो कि मेरे लिए धरोहर स्वरूप है. सुधि पाठकों और अनुसंधानकर्त्ताओं के लिए यह सादर प्रस्तुत है. .
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17 अप्रैल, 1994 को जनसत्ता, दिल्ली के रविवारी अंक में "रामनामियों की रामनवमी" शीर्षक से मेरा आलेख प्रकाशित हुआ था. इसकी कतरन आज भी मेरे संग्रह में सुरक्षित रखी हुई है, जो कि मेरे लिए धरोहर स्वरूप है. सुधि पाठकों और अनुसंधानकर्त्ताओं के लिए यह सादर प्रस्तुत है. .