जिन्दगी में झटके खाने की आदत डालनी होगी। जीवन में आत्मविश्वास, महत्वाकांक्षा रखने और लक्ष्य तय करने के साथ साथ मेहनत भी करनी होगी, तभी सफलता हासिल होगी। इन्ही सब गुणों के कारण नरेन्द्र मोदी को उनकी पार्टी ने प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार बनाया हैं। यह बात प्रसिद्द लेखक और विचारक चेतन भगत ने रविवार की शाम को बिलासपुर के सीएमडी कालेज ग्राउंड में आयोजित एक शाम युवाओं के नाम कार्यक्रम के दौरान कही। छत्तीसगढ़ राज्य युवा आयोग ने इसे आयोजित किया था।
बिलासपुर के बीजेपी विधायक और छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल के जन्म दिन की खुशी के बहाने आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता बतौर चेतन भगत ने आगे कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने कैरियर के शुरू में चाय बेचा करते थे। तमाम तकलीफों को झेलने के बावजूद उन्होंने झटके खाना नहीं छोड़ा। वे मेहनत करते रहे। अपने लक्ष्य को पाने में लगे रहे। गुजरात के मुख्यमंत्री बने और आज उन्हें उनकी पार्टी ने देश के प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार बनाया है। जीवन में सफलता पाने के लिए सिर्फ बुद्धिमता ही नहीं बल्कि लक्ष्य का निर्धारण करना भी जरूरी है। अन्यथा पराजय मिलती है।
उन्होंने जीवन में सफलता हासिल करने के मुख्य सूत्रों पर प्रकाश डालते हुए विद्यार्थियों और युवाओं से कहा कि जब जिन्दगी में कभी हार मिलती है तो उसका दुःख अवश्य होता है, लेकिन हार मिलने से उत्पन्न अवसाद के कारण अपने लक्ष्य और जारी कार्य को छोड़ना नहीं चाहिए। मैं खुद अपने लेखन के क्षेत्र में इसका अनुसरण करता हूँ। शुरू में मेरी कहानी को नब्बे फीसदी प्रकाशकों ने नकार दिया था। कई फिल्म निर्माताओं ने मेरी कहानी को ठुकरा दिया था लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। अपने लक्ष्य पर कायम रहा। जब मेरी लिखी किताब पर बनी फिल्म थ्री इडियट सफल हुई तब सब मेरी तारीफ करने लगे। मेरी लिखी कहानी पर जब फिल्म काई पोचे बनाना तय हुआ तब भी बहुत दिक्कत आई थी। इस फिल्म के लिए स्टार हीरो ने काम करने से इनकार कर दिया तब हमने टीवी सीरियल के नायक सुशांत सिंह को लेकर उसे इस फिल्म का नायक बनाया। आख़िरकार यह फिल्म भी सफल रही। अर्थात प्रसिद्धि पाने और स्थापित होने के बावजूद आगे भी मेहनत करना जरूरी होता है।
चेतन भगत ने देश के हालात पर कटाक्ष करते हुए कहा कि देश अभी बीमार है। पीएम खामोश रहते हैं। वे समझौतावादी हैं। वे गंभीर मामलों में भी टस से मस नहीं होते हैं। देश में अब सुधार की जरूरत है। लोगों को अपने वोट का मूल्य समझना होगा। सही व्यक्ति देखकर वोट देना होगा। चेतन भगत ने उपस्थित युवाओं से सफलता पाने से सम्बंधित सवाल भी पूछे और उनके विभिन्न रोचक सवालों के जवाब दिए।
चेतन भगत से पहले स्वास्थ्य मंत्री ने अपने लम्बे उद्बोधन में राज्य सरकार की तारीफ में कसीदे गढ़े और केंद्र सरकार की खुलकर आलोचना की। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उन्होंने युवा मतदाताओं को साधने का प्रयास किया। अमर अग्रवाल के लम्बे और उबाऊ भाषण के बाद जब चेतन भगत बोलने आये तब सबसे पहले उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि जब मैं पढ़ाई के दौरान हास्टल में रहता था, तब उन दिनों अगर किसी का बर्थ डे होता था तो हम लोग उसके मुंह में केक भर देते थे। ताकि वह कुछ बोल न सके। आज भी मेरा मन हो रहा था कि मंत्रीजी के मुंह में केक भर दूं। मीडिया वाले बैठे हैं, इसलिए यह छप जाएगा। यह सुन कर अमर अग्रवाल झेंप गए। चेतन भगत ने फिर अमर अग्रवाल की तरफ देखते हुए यह भी कहा कि मेरे ख्याल से राजनीति से मुश्किल कोई दूसरा कार्य नहीं है। सारा दिन काम करते रहो फिर भी पता नहीं रहता कि जीतोगे या हारोगे। ऊपर से सबसे गालियाँ भी मिलती हैं। इतना सुनते ही अमर अग्रवाल का चहेरा उतर गया और वे बगले झाँकने लग गए। तत्पश्चात मामले को सम्हालते हुए चेतन भगत ने कहा कि बहुत कम लेखक होंगे जिन्हें ऐसे मौके पर बुलाया गया है। यहाँ आने से पहले मैं सोच रहा था कि अमर अग्रवाल कैसे नेता हैं, जिन्हें भीड़ नहीं चाहिए। ये अलग सोच के नेता हैं। वे चाहते तो ज्यादा भीड़ जुटाने के नाम पर कैटरीना कैफ, सलमान खान, दीपिका पादुकोण, या सोनम जैसे बालीवुड स्टार को बुला सकते थे। यह प्रशंसा सुनकर अमर अग्रवाल के चहेरे पर अंततः मुस्कराहट आ गई।
-दिनेश ठक्कर "बापा"
बिलासपुर के बीजेपी विधायक और छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल के जन्म दिन की खुशी के बहाने आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता बतौर चेतन भगत ने आगे कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने कैरियर के शुरू में चाय बेचा करते थे। तमाम तकलीफों को झेलने के बावजूद उन्होंने झटके खाना नहीं छोड़ा। वे मेहनत करते रहे। अपने लक्ष्य को पाने में लगे रहे। गुजरात के मुख्यमंत्री बने और आज उन्हें उनकी पार्टी ने देश के प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार बनाया है। जीवन में सफलता पाने के लिए सिर्फ बुद्धिमता ही नहीं बल्कि लक्ष्य का निर्धारण करना भी जरूरी है। अन्यथा पराजय मिलती है।
उन्होंने जीवन में सफलता हासिल करने के मुख्य सूत्रों पर प्रकाश डालते हुए विद्यार्थियों और युवाओं से कहा कि जब जिन्दगी में कभी हार मिलती है तो उसका दुःख अवश्य होता है, लेकिन हार मिलने से उत्पन्न अवसाद के कारण अपने लक्ष्य और जारी कार्य को छोड़ना नहीं चाहिए। मैं खुद अपने लेखन के क्षेत्र में इसका अनुसरण करता हूँ। शुरू में मेरी कहानी को नब्बे फीसदी प्रकाशकों ने नकार दिया था। कई फिल्म निर्माताओं ने मेरी कहानी को ठुकरा दिया था लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। अपने लक्ष्य पर कायम रहा। जब मेरी लिखी किताब पर बनी फिल्म थ्री इडियट सफल हुई तब सब मेरी तारीफ करने लगे। मेरी लिखी कहानी पर जब फिल्म काई पोचे बनाना तय हुआ तब भी बहुत दिक्कत आई थी। इस फिल्म के लिए स्टार हीरो ने काम करने से इनकार कर दिया तब हमने टीवी सीरियल के नायक सुशांत सिंह को लेकर उसे इस फिल्म का नायक बनाया। आख़िरकार यह फिल्म भी सफल रही। अर्थात प्रसिद्धि पाने और स्थापित होने के बावजूद आगे भी मेहनत करना जरूरी होता है।
चेतन भगत ने देश के हालात पर कटाक्ष करते हुए कहा कि देश अभी बीमार है। पीएम खामोश रहते हैं। वे समझौतावादी हैं। वे गंभीर मामलों में भी टस से मस नहीं होते हैं। देश में अब सुधार की जरूरत है। लोगों को अपने वोट का मूल्य समझना होगा। सही व्यक्ति देखकर वोट देना होगा। चेतन भगत ने उपस्थित युवाओं से सफलता पाने से सम्बंधित सवाल भी पूछे और उनके विभिन्न रोचक सवालों के जवाब दिए।
चेतन भगत से पहले स्वास्थ्य मंत्री ने अपने लम्बे उद्बोधन में राज्य सरकार की तारीफ में कसीदे गढ़े और केंद्र सरकार की खुलकर आलोचना की। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उन्होंने युवा मतदाताओं को साधने का प्रयास किया। अमर अग्रवाल के लम्बे और उबाऊ भाषण के बाद जब चेतन भगत बोलने आये तब सबसे पहले उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि जब मैं पढ़ाई के दौरान हास्टल में रहता था, तब उन दिनों अगर किसी का बर्थ डे होता था तो हम लोग उसके मुंह में केक भर देते थे। ताकि वह कुछ बोल न सके। आज भी मेरा मन हो रहा था कि मंत्रीजी के मुंह में केक भर दूं। मीडिया वाले बैठे हैं, इसलिए यह छप जाएगा। यह सुन कर अमर अग्रवाल झेंप गए। चेतन भगत ने फिर अमर अग्रवाल की तरफ देखते हुए यह भी कहा कि मेरे ख्याल से राजनीति से मुश्किल कोई दूसरा कार्य नहीं है। सारा दिन काम करते रहो फिर भी पता नहीं रहता कि जीतोगे या हारोगे। ऊपर से सबसे गालियाँ भी मिलती हैं। इतना सुनते ही अमर अग्रवाल का चहेरा उतर गया और वे बगले झाँकने लग गए। तत्पश्चात मामले को सम्हालते हुए चेतन भगत ने कहा कि बहुत कम लेखक होंगे जिन्हें ऐसे मौके पर बुलाया गया है। यहाँ आने से पहले मैं सोच रहा था कि अमर अग्रवाल कैसे नेता हैं, जिन्हें भीड़ नहीं चाहिए। ये अलग सोच के नेता हैं। वे चाहते तो ज्यादा भीड़ जुटाने के नाम पर कैटरीना कैफ, सलमान खान, दीपिका पादुकोण, या सोनम जैसे बालीवुड स्टार को बुला सकते थे। यह प्रशंसा सुनकर अमर अग्रवाल के चहेरे पर अंततः मुस्कराहट आ गई।
-दिनेश ठक्कर "बापा"