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सोमवार, 23 सितंबर 2013

जीतेंगे या हारेंगे यह राजनीति में पता नहीं रहता - चेतन भगत

जिन्दगी में झटके खाने की आदत डालनी होगी। जीवन में आत्मविश्वास, महत्वाकांक्षा रखने और लक्ष्य तय करने के  साथ साथ मेहनत भी करनी होगी, तभी सफलता हासिल होगी। इन्ही सब गुणों के कारण नरेन्द्र मोदी को उनकी पार्टी ने प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार बनाया हैं। यह बात प्रसिद्द लेखक और विचारक चेतन भगत ने रविवार की शाम को बिलासपुर के सीएमडी कालेज ग्राउंड में आयोजित एक शाम युवाओं के नाम कार्यक्रम के दौरान कही। छत्तीसगढ़ राज्य युवा आयोग ने इसे आयोजित किया था।
बिलासपुर के बीजेपी विधायक और छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल के जन्म दिन की खुशी के बहाने आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता बतौर चेतन भगत ने आगे कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने कैरियर के शुरू में चाय बेचा करते थे। तमाम तकलीफों को झेलने के बावजूद उन्होंने झटके खाना नहीं छोड़ा। वे मेहनत करते रहे। अपने लक्ष्य को पाने में लगे रहे। गुजरात के मुख्यमंत्री बने और आज उन्हें उनकी पार्टी ने देश के प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार बनाया है। जीवन में सफलता पाने के लिए सिर्फ बुद्धिमता ही नहीं बल्कि लक्ष्य का निर्धारण करना भी जरूरी है। अन्यथा पराजय मिलती है।
उन्होंने जीवन में सफलता हासिल करने के मुख्य सूत्रों पर प्रकाश डालते हुए विद्यार्थियों और युवाओं से कहा कि जब जिन्दगी में कभी हार मिलती है तो उसका दुःख अवश्य होता है, लेकिन हार मिलने से उत्पन्न अवसाद के कारण अपने लक्ष्य और जारी कार्य को छोड़ना नहीं चाहिए। मैं खुद अपने लेखन के क्षेत्र में इसका अनुसरण करता हूँ। शुरू में मेरी कहानी को नब्बे फीसदी प्रकाशकों ने नकार दिया था। कई फिल्म निर्माताओं ने मेरी कहानी को ठुकरा दिया था लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। अपने लक्ष्य पर कायम रहा। जब मेरी लिखी किताब पर बनी फिल्म थ्री इडियट सफल हुई तब सब मेरी तारीफ करने लगे। मेरी लिखी कहानी पर जब फिल्म काई पोचे बनाना तय हुआ तब भी बहुत दिक्कत आई थी। इस फिल्म के लिए स्टार हीरो ने काम करने से इनकार कर दिया तब हमने टीवी सीरियल के नायक सुशांत सिंह को लेकर उसे इस फिल्म का नायक बनाया। आख़िरकार यह फिल्म भी सफल रही। अर्थात प्रसिद्धि पाने और स्थापित होने के बावजूद आगे भी मेहनत करना जरूरी होता है।
चेतन भगत ने देश के हालात पर कटाक्ष करते हुए कहा कि देश अभी बीमार है। पीएम खामोश रहते हैं। वे समझौतावादी हैं। वे गंभीर मामलों में भी टस से मस नहीं होते हैं। देश में अब सुधार की जरूरत है। लोगों को अपने वोट का मूल्य समझना होगा। सही व्यक्ति देखकर वोट देना होगा। चेतन भगत ने उपस्थित युवाओं से सफलता पाने से सम्बंधित सवाल भी पूछे और उनके विभिन्न रोचक सवालों के जवाब दिए।  
चेतन भगत से पहले स्वास्थ्य मंत्री ने अपने लम्बे उद्बोधन में राज्य सरकार की तारीफ में कसीदे गढ़े और केंद्र सरकार की खुलकर आलोचना की। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उन्होंने युवा मतदाताओं को साधने का प्रयास किया। अमर अग्रवाल के लम्बे और उबाऊ भाषण के बाद जब चेतन भगत बोलने आये तब सबसे पहले उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि जब मैं पढ़ाई के दौरान हास्टल में रहता था, तब उन दिनों अगर किसी का बर्थ डे होता था तो हम लोग उसके मुंह में केक भर देते थे। ताकि वह कुछ बोल न सके। आज भी मेरा मन हो रहा था कि मंत्रीजी के मुंह में केक भर दूं। मीडिया वाले बैठे हैं, इसलिए यह छप जाएगा।  यह सुन कर अमर अग्रवाल झेंप गए। चेतन भगत ने फिर अमर अग्रवाल की तरफ देखते हुए यह भी कहा कि मेरे ख्याल से राजनीति से मुश्किल कोई दूसरा कार्य नहीं है। सारा दिन काम करते रहो फिर भी पता नहीं रहता कि जीतोगे या हारोगे। ऊपर से सबसे गालियाँ भी मिलती हैं। इतना सुनते ही अमर अग्रवाल का चहेरा उतर गया और वे बगले झाँकने लग गए। तत्पश्चात मामले को सम्हालते हुए चेतन भगत ने कहा कि बहुत कम लेखक होंगे जिन्हें ऐसे मौके पर बुलाया गया है। यहाँ आने से पहले मैं सोच रहा था कि अमर अग्रवाल कैसे नेता हैं, जिन्हें भीड़ नहीं चाहिए। ये अलग सोच के नेता हैं। वे चाहते तो ज्यादा भीड़ जुटाने के नाम पर कैटरीना कैफ, सलमान खान, दीपिका पादुकोण, या सोनम जैसे बालीवुड स्टार को बुला सकते थे। यह प्रशंसा सुनकर अमर अग्रवाल के चहेरे पर अंततः मुस्कराहट आ गई।    

-दिनेश ठक्कर "बापा"  

कांगेस की टिकट पाने दावेदारों में बढ़ी सियासी खींचतान

छत्तीसगढ़ में आसन्न विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बिलासपुर जिले में कांग्रेस की टिकट के लिए दावेदारों के मध्य होड़ और खींचतान बढ़ गई है। टिकट पाने की जुगत में दो बार दिल्ली जाकर अपने अपने आकाओं से मुलाक़ात करने के बाद दावेदार अगले कुछ दिनों में तीसरी दफे दिल्ली जाने वाले हैं। राहुल गांधी की टीम के सर्वेयर बिलासपुर जिले में भी जीतने योग्य दावेदार की टोह ले रहे हैं। खुफिया रिपोर्ट एवं पूर्व सर्वे के आधार पर टिकट के योग्य दावेदारों का फिर से ब्यौरा इकट्ठा किया जा रहा है। ब्लाक स्तर पर जिन नामों को प्रदेश कांग्रेस द्वारा दिल्ली भेजा गया है, उनकी संभावित जीत को टटोलने के लिए गोपनीय सर्वे भी जारी है। दावेदारों से चुनाव जीतने का रोडमैप बनाने को कहा गया है।
बिलासपुर, कोटा, तखतपुर, बिल्हा, मस्तूरी, बेलतरा तथा मरवाही विधानसभा क्षेत्र से टिकट पाने के लिए वरिष्ठ दावेदार नेताओं का सियासी गुणा भाग अभी तक जारी है। यद्दपि कोटा से वर्तमान विधायक डा रेणु जोगी तथा मरवाही से विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का ही नाम ब्लाक स्तर पर तय किया गया है। इसलिए इस दो सीट पर घमासान कम मचा हुआ है। लेकिन बिलासपुर, बेलतरा, बिल्हा, तखतपुर और मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र से टिकट पाने के लिए दिग्गज दावेदारों द्वारा गुटीय प्रतिस्पर्धा के चलते एक दूसरे का कच्चा चट्ठा आलाकमान तक पहुंचाया जा रहा है। परस्पर मोर्चा खोल कर एक दूसरे की शिकायत करने का सिलसिला बदस्तूर जारी हैं। दावेदारों के खिलाफ पूर्व में छपी अखबारी ख़बरों की कतरनें, विरोधी बीजेपी नेताओं से मेलजोल की वीडियो सीडी आदि अपने केन्द्रीय आकाओं के जरिये हाई कमान तक भिजवाई गई है।
बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र से स्थानीय बीजेपी विधायक और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल के खिलाफ फिलहाल महापौर श्रीमती वाणी राव को ही सक्षम और धनाड्य कांग्रेस प्रत्याशी माने जाने के कारण उनकी टिकट तय मानी जा रही है। लेकिन अंतिम क्षणों में उम्मीदवार का नाम बदले जाने की कांग्रेसी परम्परा को दृष्टिगत रखते हुए बाकी खांटी दावेदार अभी भी टिकट के प्रति आशान्वित हैं। बिलासपुर सीट से टिकट हासिल करने की कवायद में जुटे कांग्रेस नेता अशोक अग्रवाल, विजय पाण्डेय, अटल श्रीवास्तव, विवेक उर्फ़ चिका बाजपेयी तथा राजेश पाण्डेय ने अभी भी उम्मीद नहीं छोडी है। ये सभी दावेदार दिल्ली में मत्था टेक कर आ चुके हैं। इनका मानना है कि बी फ़ार्म आने तक टिकट का प्रयास करने में वे कोई कोताही नहीं बरतेंगे। दिल्ली में होने वाली स्क्रीनिंग कमेटी की हर बैठक पर ये सभी दावेदार नजर बनाए हुए हैं। वे अपने अपने सूत्रों से सूचनाएं ले रहे हैं। दिल्ली में 27 सितंबर को कांग्रेस की प्रदेश चुनाव समिति तथा स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक प्रस्तावित है जिसमें वर्तमान कांग्रेस विधायकों और कांग्रेस के शहीद नेताओं के परिवारों में से प्रत्याशी तय किए जाएंगे। अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में कांग्रेस के कुछ प्रमुख उम्मीदवारों के नाम की घोषणा होने की संभावना जताई जा रही है। पहली सूची में प्रमुख आसान सीटों पर प्रत्याशी तय होने की बात कही जा रही है।
वहीं दूसरी तरफ जिले में बूथ स्तर पर भी कार्यकर्ताओं को रिचार्ज करने ब्लॉक कांग्रेस कमेटी मशक्कत कर रही है। उन्हें संगठित होकर चुनाव में एकजुटता दिखाने का पाठ पढ़ाया जा रहा है। ताकि इस बार राज्य में कांग्रेस की सरकार बन सके।बिल्हा के बाद बेलतरा विधानसभा क्षेत्र की बैठक गत दिनों मोपका में ब्लाक कांग्रेस के नेतृत्व में हुई। राहुल गांधी के निर्देश पर प्रदेश प्रभारी बीके हरिप्रसाद द्वारा बेलतरा सीट के लिए नियुक्त समन्वयक रविन्द्र दलवी ने बैठक लेते हुए कांग्रेस जनों से कहा कि वे चुनाव की तैयारी में पूरी तरह जुट जाए और पार्टी की रीति- नीति को जन-जन तक पहुंचाएं। उन्होने कहा कि बेतलरा क्षेत्र के 201 मतदान केन्द्रों में पार्टी को बढ़त दिलाने हम सबको बूथ स्तर पर युवाओं की टीम खड़ी करना है। दलितों, आदिवासियों तथा पिछड़ा वर्गो को इसमें विशेष तौर पर जोडऩा है और उनकी भागीदारी सुनिश्चित करनी है। दलवी ने यह भी कहा कि वे चुनाव होते तक क्षेत्र में रहकर बूथ स्तर तक दौरा करेंगे।
इस अवसर पर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अरूण तिवारी ने कार्यकर्ताओं से अपील की कि कांग्रेस प्रत्याशी की जीत के लिए सबको अभी से एकजुट होकर कार्य करना है। दिल्ली से आए समन्वयक दलवी का परिचय कराते हुए ब्लाक अध्यक्ष साखन दर्वे ने कहा कि बेलतरा क्षेत्र को 11 सेक्टर में बांट कर इन पर पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई है जो क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार को प्रचंड मतों से जिताएंगे। बहरहाल, इन तमाम सियासी कवायद के बावजूद स्थानीय कांग्रेस नेताओं में आपसी गुटबाजी कम होती नहीं दिख रही है। अगले कुछ दिनों में दलगत उठापटक अपेक्षाकृत ज्यादा बढ़ने के आसार साफ नजर आ रहे हैं।    

-दिनेश ठक्कर "बापा"


रविवार, 22 सितंबर 2013



जनता की पसंद पर पीएम के लिए मोदी के नाम का एलान- शाहनवाज

"भारतीय जनता पार्टी ने जनता की आवाज सुन कर प्रधानमंत्री पद के लिए गुजरात के लोकप्रिय मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम का एलान किया है। जनता पहले से ही कह रही थी कि नरेन्द्र मोदी को ही प्रधानमंत्री बनना चाहिए। हम जनता की पसंद को ही तरजीह देते हैं।" यह बात भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद शाहनवाज हुसैन ने शुक्रवार, 20 सितम्बर की शाम को पत्रकारों से कही। वे बिलासपुर में मुस्लिम समाज के पांच विभिन्न भवनों का लोकार्पण करने आए थे।
पत्र-वार्ता में शाहनवाज हुसैन ने आगे कहा कि  बीजेपी के पूरे लोग इकट्ठे  होकर नरेन्द्र मोदी के साथ खड़े हैं। नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बतौर प्रोजेक्ट किए जाने पर कोई भी वरिष्ठ नेता नाराज नहीं है। नरेन्द्र मोदी को प्रोजेक्ट किए जाने से पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में सकारात्मक असर पड़ेगा। उनकी छवि का फायदा पार्टी को मिलेगा। मोदी की छवि के अलावा  मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में विकास के मुद्दे पर हम चुनाव जरूर जीतेंगे और राजस्थान व दिल्ली कांग्रेस से छीनेंगे। जहाँ तक मीडिया में लालकृष्ण आडवाणी की इस सम्बन्ध में नाराजगी की चर्चा का सवाल है ,वह सही नहीं है। स्वयं आडवाणी जी ने नरेन्द्र मोदी को उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद मिठाई खिलाई है, उन्हें आशीर्वाद दिया है। बिलासपुर, कोरबा में उन्होंने उनकी तारीफ भी की है जिसके आप लोग साक्षी हैं। रूठे लालकृष्ण आडवाणी द्वारा नरेन्द्र मोदी की तारीफ करना क्या दलगत और सियासी मजबूरी है? इस सवाल के जवाब में शाहनवाज हुसैन ने स्पष्ट तौर पर कहा कि  यह उनकी कोई भी मजबूरी नहीं है। आडवाणी जी हमेशा सच्ची बात कहते रहे हैं। जिसने भी अपने राज्य में विकास किया है वे सब आडवाणी जी के सिपहसलार हैं।
आरएसएस के दबाव पर प्रधानमंत्री के पद के लिए नरेन्द्र मोदी के नाम का एलान किए जाने के सवाल के जवाब पर श्री हुसैन ने सफाई दी कि कौन पीएम, एमपी और एमएलए का उम्मीदवार होगा, यह सुझाव आरएसएस नहीं देता है। आरएसएस केवल सांस्कृतिक संगठन है। वह बीजेपी के राजनैतिक विचार को दिशा देता है। पीएम की उम्मीदवारी को लेकर जो निर्णय हुआ है वह बीजेपी का अपना निर्णय है।
हिन्दू-मुस्लिम धर्म की राजनीति करने वालों पर उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि मुसलमानों की टोपी जो पहन ले इसका मतलब यह नहीं हुआ कि वह उनका हमदर्द है।टोपी इबादत के लिए होती है,सियासत के लिए नहीं। जिस नेता को टोपी पहनना है, पहन ले, जिसको तिलक लगाना है, लगा ले लेकिन दोनों को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए।
गुजरात के दंगे में नरेन्द्र मोदी की भूमिका के प्रश्न पर उन्होंने साफ किया कि अदालत ने अभी तक गुजरात के मुख्यमंत्री पर अंगुली नहीं उठाई है। बारह साल से वहां कोई दंगा नहीं हुआ है। नरेन्द्र मोदी का नाम दंगों में घसीटना कांग्रेसियों की पुरानी  आदत है। जबकि हमने कभी नेहरू, इंदिरा और राजीव गाँधी का नाम विभिन्न बड़े दंगों के सिलसिले में नहीं लिया और न ही उन्हें जिम्मेदार ठहराया। उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर के दंगे पर उनका कहना था कि वहां दंगे रोकने में अखिलेश यादव की सरकार नाकाम रही है। मीडिया ने अपने स्टिंग आपरेशन में दंगे का सच जाहिर कर दिया है। यूपी के दंगे समाजवादी पार्टी के शोकाल्ड दंगे है। वोट के लालच में वहां सांप्रदायिक भाईचारा तोड़ने का काम किया गया है। इसमें समाजवादी पार्टी की राज्य सरकार के साथ साथ केंद्र सरकार की भी भागीदारी है। जबकि बीजेपी हमेशा सांप्रदायिक एकता का प्रयास करती रही है।
कांग्रेस की आलोचना करते हुए उन्होंने चुटकी ली कि कांग्रेस एक मुंह से नहीं बल्कि दस मुंह से बोलने वाली पार्टी हो गई है। जब हम उनके बयान को पकड़ लेते है तो वे हायतौबा मचाते हैं। मनमोहन सिंह की सरकार देश में हर मोर्चे पर विफल रही है। मनमोहन सिंह को पहले बहुत बड़ा अर्थशास्त्री  माना जाता था पर उनका अर्थशास्त्र किसी काम का नहीं निकला। देश में बेरोजगारी,महंगाई ,भ्रष्टाचार और घोटाले बढ़े  है। लोग उनकी सरकार से उब गए हैं।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा सीपत में एनटीपीसी के सुपर थर्मल पॉवर स्टेशन राजीव गाँधी के नाम पर किए जाने पर उन्होंने व्यंग्य कसा कि कांग्रेसियों का यदि बस चले तो वे हर पत्ते और दरख़्त का नाम गाँधी परिवार के नाम पर कर दे।
बिलासपुर के विधायक और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल की तारीफ में कसीदे गढ़ते हुए उन्होंने कहा कि वे इस क्षेत्र के मुसलमानों के बड़े नेता है क्योंकि यहाँ सांप्रदायिक सद्भाव दिखता है।
पत्रकारों को सवाल पूछने दीजिये
शाहनवाज हुसैन पर जब सवालों की लगातार बौछार हो रही थी तब स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल को यह नागवार गुजरा और उन्होंने इशारा कर बीजेपी के एक स्थानीय नेता बेनी गुप्ता को पत्रकार वार्ता समाप्त करने की घोषणा करानी चाही। बेनी गुप्ता ने चलती पत्रकार वार्ता के दौरान ही बीच में जब दूसरी बार माइक लेकर पत्रकारों से कहा कि वे अब सवाल पूछना बंद करें। तब शाहनवाज हुसैन को उनका यह रवैया पसंद नहीं आया और उन्होंने बड़े सलीके से कहा कि आप इन्हें क्यों रोक रहे हैं। पत्रकारों को सवाल पूछने दीजिए। हमको भी मजा आ रहा है।

- दिनेश ठक्कर "बापा"

बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन की पत्र वार्ता दबंग दुनिया में


प्रधानमंत्री के सीपत प्रवास पर दबंग दुनिया में छपी मेरी रपट


प्रधानमंत्री के छत्तीसगढ़ प्रवास से चौड़ी हुई सियासी खाई



प्रधानमंत्री डॉ  मनमोहन सिंह के सीपत (जिला बिलासपुर, छत्तीसगढ़) प्रवास के दौरान एक बार फिर से केंद्र सरकार और राज्य की भाजपा सरकार के बीच बनी खाई और चौड़ी हो गई। यही नहीं बल्कि पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के कोरबा और बिलासपुर जिले के प्रवास के दौरान उनके उद्बोधन से उपजे सियासी समीकरण पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपनी सरकार को अव्वल दर्जे की बताते हुए छत्तीसगढ़ को पोसने का श्रेय लेने से नहीं चूके। केंद्र सरकार की धनराशि  से छत्तीसगढ़ को बिजली के क्षेत्र में आगे ले जाने की बात कहकर मनमोहन सिंह ने रमन  सिंह को यह जता  दिया कि उनके सहयोग के बगैर छत्तीसगढ़ राज्य को पॉवर हब नहीं बना सकते। एनटीपीसी का सीपत सुपर थर्मल पावर स्टेशन राजीव गांधी के नाम कर मनमोहन सिंह ने गांघी परिवार के प्रति अपनी वफादारी भी दिखाई।.        
गुरूवार,19 सितम्बर को आयोजित सीपत एनटीपीसी के लोकार्पण समारोह में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बिजली संबंधी मंतव्य को केन्द्रीय उर्जा राज्य मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी अपने भाषण में दोहरा कर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह को केंद्र पर आश्रित रहने का अहसास दिलाया। हर घर में बिजली पहुँचाने का भरोसा दिला कर उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी को भी लपेटे में लिया। गौरतलब है कि  आडवाणी ने पिछले दिनों कोरबा और बिलासपुर जिले में अपने भाषण में विद्युत् विकास के मामले में गुजरात को नंबर एक राज्य करार दिया था। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी सीपत में अपने भाषण में विद्युत् उत्पादन के सन्दर्भ में केंद्र की महत्ता प्रतिपादित की। जाहिर है, पॉवर हब के मुद्दे पर चल रहे सियासी दांवपेंच का सिलसिला आसन्न विधानसभा और लोकसभा चुनाव तक यूँ ही चलता रहेगा।
सीपत में अपने संबोधन के दौरान छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह की पीड़ा भी उजागर हुई। उनका यह कहना कि बिजली की आवश्यकता के अनुरूप उसका उत्पादन संभव नहीं हो पा रहा है , समय रहते कोयले की आपूर्ति की समस्या का निराकरण यदि नहीं होगा तो प्रधानमंत्री की कार्ययोजना कैसे सफल होगी। केंद्र और भाजपा की राज्य सरकार के टकराव के चलते सरगुजा में 4000 मेगावाट वाला अल्ट्रा मेगा पॉवर प्रोजेक्ट प्रभावित हुआ है। नो गो एरिया में इस प्रोजेक्ट के आने के कारण केंद्र के मंत्रिमंडलीय समूह द्वारा इसे रद्द कर दिए जाने पर रमन सिंह ने अफ़सोस जाहिर कर ही दिया। कोल ब्लॉक कंट्रोवर्सी के चलते इस प्रोजेक्ट को भी कोल ब्लॉक मुहैय्या नहीं कराया जा रहा है। मौका पाकर गुरूवार  को रमन सिंह ने आखिरकार अपने भाषण में इसकी मांग प्रधानमंत्री से कर ही डाली।
वहीँ दूसरी ओर मनमोहन सिंह के इस प्रवास के दौरान कांग्रेस की दलगत राजनीति में भी समीकरण बनते-बिगड़ते दिखे। एसपीजी की सुरक्षा नीति के बहाने प्रधानमंत्री के सभा मंच पर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को स्थान न देकर उन्हें सामने बने वीआईपी खंड में बैठाना चर्चा का विषय बना रहा। जोगी ने भी इस मुद्दे पर स्पष्ट किया कि उन्हें पहले से ही ज्ञात था कि सुरक्षा कारणों से उन्हें मंच पर बैठने नहीं दिया जाएगा। हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ही उन्हें इस समारोह में आने का न्यौता दिया था। सनद रहे कि सीपत प्लांट की बुनियाद अजीत जोगी के शासनकाल के दौरान ही रखी गई थी। 28 जनवरी 2002 को तात्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस पावर प्लांट का भूमिपूजन और शिलान्यास किया था। बहरहाल, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा अपने भाषण के दौरान इस प्लांट की नींव के सन्दर्भ में जोगी का जिक्र तक न किया जाना उनके सियासी कद को कम करने जैसा ही था। ऐसा पहली दफे हुआ है जब अजीत जोगी को किसी सार्वजनिक समारोह में मंच से दूर रखा गया हो और उनका नाम लेना जरूरी नहीं समझा गया। हेलीपैड में भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से उन्हें मिलने का मौक़ा नहीं दिया गया। यद्यपि उनकी पत्नी रेणु जोगी के अलावा बिलासपुर की महापौर वाणी राव सहित कुछ प्रदेश कांग्रेस नेताओं को स्वागत करने का अवसर दिया गया, क्योंकि इनके नाम पहले से तय कर लिए गए थे। रेणु जोगी को छोड़कर बाकी कांग्रेस नेताओं ने ज्योतिरादित्य सिंधिया से कुछ क्षण गुफ्तगू अवश्य की। उधर, जोगी के धुरविरोधी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री डॉ चरणदास महंत मंच पर आसीन थे। हालाँकि उन्हें भी बोलने का मौका नहीं दिया गया। वे कठपुतली की तरह मंच पर बैठे रहे।.समारोह के दौरान पंडाल में महंत और जोगी गुट के समर्थकों की आपसी दूरी भी साफ़ झलक रही थी।

- दिनेश ठक्कर "बापा"
  (चित्र : साभार जन सम्पर्क विभाग)   

शुक्रवार, 20 सितंबर 2013

दैनिक दबंग दुनिया में जोगी पर प्रकाशित मेरी रपट

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में बुधवार को अजीत जोगी की जाति के मामले में याचिका के निराकृत होने और उसके सियासी असर पर दैनिक दबंग दुनिया में गुरूवार को प्रकाशित मेरी रपट।

अब नई ऊर्जा के साथ चल सकती है जोगी एक्सप्रेस


छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की जाति के मामले में हाई कोर्ट से बुधवार को उनकी याचिका निराकृत होने के बाद प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। सियासी गलियारों में जोगी के आदिवासी मुद्दे पर नए समीकरण बनने शुरू हो गए हैं। जोगी  की परंपरागत और घरेलू आदिवासी सीट मरवाही से पुनः उनके चुनाव लड़ने का रास्ता साफ़ हो गया है। इनके साथ ही उनके पुत्र अमित के लिए भी आदिवासी सीट का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पहले कांग्रेसी मुख्यमंत्री होने का श्रेय पाने वाले अजीत जोगी  मरवाही सीट से उपचुनाव जीते थे। हालाँकि इसके पहले रायगढ़ लोकसभा सीट से वे जब पहली बार सांसद निर्वाचित हुए थे तब से उनकी कंवर जाति  को लेकर विवाद खड़ा होता रहा है। राज्य बनने के बाद से ही जोगी को, जाति को लेकर राजनैतिक दांव पेंच में ज्यादा उलझा दिया गया था। सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा नेताओं ने जोगी को न्यायालयीन मामले से घेर कर उन्हें कमजोर करने की कवायद जारी रखी थी। आदिवासी भाजपा नेता नन्दकुमार साय , संत राम  नेताम और कोरबा क्षेत्र के बनवारीलाल अग्रवाल ने अपनी ओर से कोई कसर बाकी नहीं रखी थी । पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष बनवारीलाल अग्रवाल ने वर्ष 2002 में तात्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के जाति प्रमाण पत्र की सीबीआई जांच कराए जाने की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट में वर्ष 1967 से अब तक जारी जोगी के सभी जाति प्रमाण पत्रों की प्रतियां और इस मामले में अब तक सुप्रीम कोर्ट सहित विभिन्न न्यायालयों के फैसले की प्रतियाँ पेश की गई थी। हाई कोर्ट ने 6 मई 2013 को बनवारीलाल अग्रवाल की याचिका ख़ारिज कर दी थी।
वहीँ दूसरी ओर वर्ष 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अजीत जोगी के जाति के मामले में उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति से जांच होनी चाहिए। लेकिन चौकाने वाली बात यह है कि  इस समिति ने दो साल तक चुप्पी साधे  रखी। जब प्रदेश में विधानसभा के चुनाव निकट आए तब इसे दृष्टिगत रखते हुए यह समिति एकाएक सक्रिय हो गई। उसने विजिलेंस सेल को ताबड़तोड़ जांच करने का जिम्मा सौप दिया। फिर विजिलेंस सेल ने एकतरफा दो जांच रिपोर्ट तैयार कर उच्च स्तरीय जाति  छानबीन समिति के सुपुर्द कर दी। अजीत जोगी ने किसी तरह इसकी प्रतियाँ हासिल कर अपने अधिवक्ता के जरिए हाई कोर्ट में जांच रिपोर्ट को निरस्त करने की मांग को लेकर याचिका दायर कर दी। आखिरकार जोगी के अधिवक्ता के तर्क उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति और राज्य शासन पर भारी पड़े और दोनों ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए दोनों जांच रिपोर्ट वापस ले ली। जिसके कारण हाई कोर्ट ने अजीत जोगी की याचिका निराकृत कर दी।
बुधवार को ही अजीत जोगी की पत्नी डॉ रेणु  जोगी सुबह से ही बिलासपुर के सर्किट हॉउस में डेरा डाल कर फैसले का इन्तजार कर रही थी। याचिका निराकृत होने  के बाद जोगी के वकील राहुल त्यागी ने मीडिया से बातचीत कर पूरा ब्यौरा बताया फिर डॉ  रेणु जोगी ने भी ख़ुशी का इजहार करते हुए मीडिया से कहा कि हाई कोर्ट का यह निर्णय मेरे और मेरे परिवार के लिए अच्छा निर्णय है। इससे हमें राहत मिली है। चुनाव नजदीक होने से यह हमारे लिए चिंता का सबब बना हुआ था। आखिकार सच की जीत हुई। स्वयं अजीत जोगी भी इस निर्णय से बेहद खुश हैं।
हालांकि गुरुवार को समीकरण कुछ बदले नजर आये जब वे सीपत में एनटीपीसी के सुपर थर्मल पॉवर स्टेशन  के लोकार्पण समारोह में गए थे। वहां वे प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह से मुखातिब नहीं हो सके। राजनैतिक खींचतान के चलते उन्हें मनमोहन सिंह से दूर रखा गया। उन्हें मंच के बजाय सामने बने वीआईपी दर्शक खंड में बैठाया गया। हेलीपेड में भी उन्हें मनमोहन सिंह से मिलाना मुनासिब नहीं समझा गया। खुद मनमोहन सिंह ने अपने भाषण में अजीत जोगी का जिक्र तक नहीं किया। जबकि 28 जनवरी 2002 में जब तात्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा सीपत प्लांट का भूमिपूजन और शिलान्यास किया गया था, तब जोगी छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार में मुख्यमंत्री थे। प्रधानमंत्री द्वारा उपेक्षित किये जाने के बाद भी जोगी अपने इरादे पर अटल हैं। अगले कुछ दिनों में अब वे एक नई उर्जा और रणनीति के साथ जोगी एक्सप्रेस चलाने की मुहिम में जुट सकते हैं। अपने दलगत विरोधियों पर भी वे अब भारी पड़ेंगे।

- दिनेश ठक्कर "बापा"

मंगलवार, 17 सितंबर 2013

कोप भवन से निकल कर आडवाणी ने किया नमो जाप

 भारतीय जनता पार्टी  के शीर्ष नेतृत्व द्वारा प्रधानमंत्री पद के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम का एलान करते ही रूठ कर कोप भवन में जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी को आखिरकार नमो जाप करना ही पड़ा। सोमवार को छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान कोरबा में हसदेव थर्मल पॉवर प्लांट की सबसे बड़ी ५०० मेगावाट की यूनिट के उद्घाटन समारोह और बिलासपुर जिले के अरपा भैसाझार बैराज परियोजना के भूमिपूजन और शिलान्यास  के बाद जन सभा में भाजपा के वरिष्ट नेता और प्रधानमंत्री पद के आकांक्षी रहे लालकृष्ण आडवाणी  ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ में जिस अंदाज में कसीदे गढ़े उससे भाजपा और आरएसएस के नेताओं ने राहत की सांस ली है।  श्री आडवाणी ने संघम शरणम गच्छामि की तर्ज पर नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा कर सियासी गलियारों में चल रहे कयासों पर फिलहाल अल्पविराम लगा दिया है।
श्री आडवाणी  ने कोरबा में अपने भाषण की शुरुआत बिजली की समस्याओं पर केन्द्रित की। छत्तीसगढ़ में बिजली के क्षेत्र में होने वाली तरक्की पर राज्य के मुख्यमंत्री डॉ  रमन  सिंह की पीठ भी थपथपाई। उन्होंने विषयांतर होते हुए नरेन्द्र मोदी के सन्दर्भ में कहा कि  मेरे साथी नरेन्द्र मोदी को पार्टी ने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है। गुजरात ने मोदी के नेतृत्व  में तेजी से विकास किया है। वहां बिजली की किल्लत नहीं है। गुजरात सहित भाजपा शासित राज्यों में सुशासन है। नरेन्द्र मोदी के पक्ष में इस अप्रत्याशित तारीफ को सुनकर मंच पर उपस्थित नेतागण और सामने बैठे कार्यकर्ताओं सहित प्रबुद्ध श्रोतागण चौक उठे। इसी तरह जब कोरबा में  मंच से उतरते समय आडवाणी  को मीडिया  ने ज्वलंत सियासी सवालों से घेरना चाहा तो वे तत्काल मीडिया की मंशा को भांप गए। उन्होंने नरेन्द्र मोदी से जुड़े एक ही सवाल का जवाब देकर किनारा कर लिया। उन्होंने जवाब में अपने भाषण में दिए गए भाव को ही उद्धृत किया।
श्री आडवाणी  बिलासपुर जिले में अरपा भैसाझार  बैराज परियोजना के भूमिपूजन और शिलान्यास के बाद हुई जन सभा में भी नमो जाप करने से नहीं चूकें। यहाँ उन्होंने कहा कि  नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद गुजरात राज्य की तरह देश भर में अच्छा काम होगा। यहाँ भी श्री आडवाणी अपने भाषण के दौरान बार बार विषयांतर हो रहे थे। सबसे पहले वे  छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण में अपनी स्वयं की भूमिका का उल्लेख करते हुए अपने मुंह मियां मिट्ठू बने और फिर एकाएक अंग्रेज शासनकाल के दौरान तात्कालीन सेन्ट्रल रेलवे की कार्यप्रणाली की आलोचना शुरू कर बैठे। उसके बाद उन्होंने आजादी के बाद भाषा के आधार पर बनाए  जाने वाले प्रान्तों को लेकर कांग्रेस सरकार की भी खिंचाई की। जब आडवाणी नरेन्द्र मोदी के पक्ष में बोल रहे थे तो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह उन्हें टकटकी लगाकर देख रहे थे। मंच में किनारे बैठी क्षेत्रीय कांग्रेस विधायक डॉ  रेणु  जोगी भी मुस्कुरा उठी। मीडिया और उपस्थित जनसमूह में भी श्री आडवाणी  के अप्रत्याशित नमो जाप को लेकर जमकर चर्चा रही। रविवार की शाम तक मीडिया और सियासी गलियारों में यह कयास भी लगाया जा रहा था कि  श्री आडवाणी  का छत्तीसगढ़ प्रवास उनकी नाराजगी के चलते रद्द हो सकता है। श्री आडवाणी  ने छत्तीसगढ़ में आकर जिस अंदाज में अपने भाषण में नमो जाप किया उससे अब यह संकेत मिल गया है कि  वे संघ की लक्ष्मण रेखा को फिलहाल बलात पार करने के मूड में कतई नहीं हैं। भाजपा के वरिष्ट नेता होने के नाते उनकी यह मजबूरी भी साबित हुई है हालांकि बिलासपुर जिले के कार्यक्रम के बाद जिस अंदाज में उन्होंने मीडिया  से कन्नी काटी उससे यह भी सिद्ध हुआ कि वे सीधे तौर पर नरेन्द्र मोदी के खिलाफ में कोई भी बाईट देने का जोखिम उठाना नहीं चाहते हैं।
गौरतलब है कि  श्री आडवाणी  अपने भाषण के दौरान जब जब नरेन्द्र मोदी का जिक्र करते थे तब तब वे उन्हीं के समानान्तर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन  सिंह , मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का भी गुणगान करने से नहीं चूके। यह उनकी कूटनीतिक  चाल थी अथवा कुछ और सियासी दांव। अब देखना यह है कि  आगे चलकर ऊंट किस करवट बैठेगा। उन्होंने बिलासपुर जिले के कार्यक्रम में कुदाली चला कर जो गड्ढा खोदा है, वह किसके लिए इस्तेमाल होगा, यह तो वक्त ही बताएगा।

- दिनेश ठक्कर "बापा"