खड़ा हूँ मैं तट पर कन्याकुमारी के
यह संगम स्थल है
हिंद महासागर
बंगाल की खाड़ी
और अरब सागर का
तीन रंगों वाले पानी का मिलन स्थल है
कन्याकुमारी
उगते और ढलते सूरज का साक्षी स्थल है
कन्याकुमारी
चोल, चेर, पांड्य का राज स्थल रहा है
कन्याकुमारी
पौराणिक कथा मिथकों का स्थल रहा है
कन्याकुमारी
परशुराम के फरसे के गिरने से उभरा है
कन्याकुमारी
महाशक्ति अवतार कन्या का तप स्थल है
कन्याकुमारी
शक्ति-कन्या का शिव से विवाह न होने पर
कुँवारी रहने का प्रतिज्ञा स्थल है
कन्याकुमारी
कुँवारी कन्या से ही मरण का वरदान प्राप्त
असुर बाणासुर के अत्याचारों का साक्षी है
कन्याकुमारी
बाणासुर से देवी कन्या के युद्ध का स्थल है
कन्याकुमारी
कन्या के हाथों बाणासुर के वध का स्थल है
कन्याकुमारी
खड़ा हूँ मैं तट पर कन्याकुमारी के
त्रिवेणी संगम के मनोरम दृश्य के बावजूद
मन व्यथित सा है
कहते सुनते हैं
कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश एक है
भौगोलिक दृष्टि
और नक्शे से यह सच है
किन्तु मानसिक दृष्टि
और मन से क्या सचमुच हम एक हैं ?
जब सागर आपस में मिल सकते हैं
तो हमारा मन आपस में क्यों नहीं मिलता ?
अलगाववाद की लहरें क्यों झकझोरती हैं ?
सद्भाव भाईचारा देश प्रेम का संगम कब होगा ?
व्यथित कर रहे हैं यक्ष प्रश्न
देश की कन्या कुमारियों की अस्मत
आखिर कब तक लुटती रहेगी ?
कलयुगी बाणासुरों का खात्मा कब होगा ?
अशक्त कुपोषित निरक्षर कब तक रहेंगी
कन्या कुमारियाँ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के जुमले नारे
आखिर सही अर्थों में कब फलीभूत होंगे ?
खड़ा हूँ मैं तट पर कन्याकुमारी के
प्रार्थना है शक्ति की देवी कन्याकुमारी से
हे देवी
फिर से जन्म लीजिए
और समूल खात्मा कीजिए
सर्वव्याप्त कलयुगी बाणासुरों का
ताकि सुरक्षित निर्भय शक्तिवान सुखी रहें
कन्या कुमारियां !
@ दिनेश ठक्कर बापा