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शनिवार, 26 अक्तूबर 2013

बहुरूपिया हैं अजीत जोगी - राजमहंत

 "छतीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी कांग्रेस हाईकमान और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को गुमराह कर नए, कमजोर और अस्तित्वहीन लोगो को टिकट दिला कर भाजपा को फायदा पहुंचा रहे हैं। कांग्रेस की जारी पहली और दूसरी सूची से साबित होता है कि अजीत जोगी छत्तीसगढ़ में भाजपा को फिर से सत्तारूढ़ कराना चाहते हैं।" यह गंभीर आरोप छत्तीसगढ़ के सतनामी समाज के राजमहंत दीवान चंद सोनवानी, दशेराम खांडेय और भारत सिंह खांडेकर ने शुक्रवार को संयुक्त पत्रवार्ता के दौरान लगाए।
बिलासपुर प्रेस क्लब में आयोजित संयुक्त पत्रवार्ता में राजमहंतों ने विधान सभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस टिकट के वितरण में अजीत जोगी की भूमिका पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जोगी ने सतनामी समाज के धर्मगुरुंओं को टिकट से वंचित कराया है। वे कांग्रेस की तीसरी सूची में भी सतनामी समाज के योग्य नेताओं और राजमहंतों को टिकट से वंचित कराने की साजिश रच रहे हैं। जोगी चाहते हैं कि सतनामी समाज के धर्म गुरू परिवार में से किसी को भी कांग्रेस का टिकट न मिले। इसीलिए वे सतनामी समाज के कुछ लोगों के जरिये आरक्षण संबंधी फर्जी मुहिम चला रहे हैं। जोगी ने आरक्षण रक्षा समिति के अध्यक्ष केपी खांडे और कुछ राजमहंतों को धोखे में रख कर धर्म गुरूओं के प्रति फर्जी बयानबाजी करा रहे हैं। जोगी समझते है कि छत्तीसगढ़ का पूरा सतनामी समाज उनके साथ है, जबिक यह हकीकत नहीं है। जोगी परिवारवाद को बढ़ावा देकर अपना हित साध रहे हैं। उन्होंने अपने स्वार्थ की खातिर सतनामी समाज को चौराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है। सतनामी समाज अब जोगी की यह करतूत बर्दाश्त नहीं करेगा। इस चुनाव में उन्हें सबक सिखाया जाएगा।
सतनामी समाज की नजर में
बहुरूपिया हैं अजीत जोगी
राजमहंतों से जब यह पूछा गया कि अजीत जोगी को वे किस समाज का सदस्य मानते हैं? इसके जवाब में उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि जोगी का कोई समाज नहीं है। वे ईसाई समाज में जाते हैं तो ईसाई और सतनामी समाज में जाते हैं तो ईसाई बन जाते हैं।जबकि सच्चाई यह है कि सतनामी समाज की नजर में अजीत जोगी को बहुरूपिया समझा जाता है।
जोगी के कमजोर प्रत्याशियों के खिलाफ
लड़ाए जाएंगे निर्दलीय उम्मीदवार
राजमहंतों ने कांग्रेस टिकट वितरण के मामले ने अजीत जोगी को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि जोगी ने भाजपा नेताओं से सांठगांठ कर जानबूझ कर छत्तीसगढ़ में रिजर्व सीटों पर कांग्रेस के कमजोर प्रत्याशी खड़े करवाएं हैं। सतनामियों की बहुलता वाले विधान सभा क्षेत्रों में जोगी ने भाजपा को फायदा पहुँचाने की नीयत से कमजोर प्रत्याशी खड़े करवाए हैं। बिलासपुर जिले के मस्तूरी सीट से टिकट के लिए चार से ज्यादा काबिल दावेदार थे, लेकिन उनको अनदेखा कर वहां से नए और कमजोर दावेदार दिलीप लहरिया को टिकट दिलाया गया। इसी तरह अन्य जिलों में भी, जैसे मुंगेली सीट से चंद्रभान बारमते, जांजगीर चांपा जिले के पामगढ़ से शेषराज हरवंश, बेमेतरा जिले के नवागढ़ से अनिता पात्रे, राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ विधान सभा क्षेत्र से डा. थानेश्वर पाटिला को जोगी ने टिकट दिलाया है। ये सभी नए और कमजोर चहेरे हैं, इनका हारना तय है। इन सबके खिलाफ  सतनामी समाज अपने योग्य लोगों को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में खड़ा करेगा। सबक सिखाने के उद्देश्य से बिलासपुर जिले के कोटा विधान सभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी और अजीत जोगी की पत्नी डा. रेणु जोगी के खिलाफ भी सतनामी समाज अपना उम्मीदवार उतारेगा। मरवाही से कांग्रेस प्रत्याशी और जोगी पुत्र अमित के विरूद्ध उम्मीदवार खड़ा इसलिए नहीं करेंगे क्योंकि वहां सतनामी ज्यादा नहीं हैं।  

-दिनेश ठक्कर "बापा"                                                                      

जोगी के खिलाफ राजमहंतों के आक्रोश पर दबंग दुनिया में छपी मेरी रपट



रविवार, 6 अक्तूबर 2013

टिकट मुद्दे पर जोगी की प्रतिष्ठा दांव पर, भाजपा में भी टांग खिंचाई


छत्तीसगढ़ विधान सभा चुनाव की तारीख के ऐलान के साथ आदर्श आचार संहिता लागू होते ही शुक्रवार की शाम से सियासी गतिविधियां तेज हो गई है। बिलासपुर जिले की विधानसभा सीटों में मतदान दूसरे चरण यानी19 नवम्बर को होगा।  इसके मद्देनजर भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी चयन की कवायद भी एकाएक तेज हो गई है। जिले में कांग्रेस की मानिंद इस बार भाजपा के टिकट दावेदारों का असंतोष भी पर्यवेक्षकों के समक्ष खुलकर मुखर हुआ है। दोनों दलों में दो तीन सीटों को छोड़ कर बाकी सीटों के लिए दावेदारों की कतार लग गई है। टिकट पाने की जुगत अब परस्पर टांग खिंचाई में तब्दील हो गई है।
बिलासपुर जिले में सात विधानसभा सीट आती है। इसमें पांच सामान्य सीट बिलासपुर, बेलतरा, बिल्हा, तखतपुर और कोटा है, जबकि दो सुरक्षित सीट मस्तूरी (अनुसूचित जाति) और मरवाही (अनुसूचित जनजाति) है। मुंगेली और लोरमी विधान सभा सीट अब नए बने जिले मुंगेली में चली गई है। हालांकि बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत यह दोनों सीट आती है, जबकि मरवाही विधानसभा क्षेत्र  कोरबा लोकसभा क्षेत्र में शामिल है। इस प्रकार बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र के तहत कुल आठ विधानसभा क्षेत्र शामिल है। इसलिए इन सबका सियासी जिला मुख्यालय बिलासपुर ही रहता है। टिकट दावेदारों की टोह लेने और उनकी मंशा जानने दोनों दलों के पर्यवेक्षक बिलासपुर में ही डेरा डालते हैं।
जहां तक कांग्रेस के टिकट के दावेदारों की होड़ का मसला है, तो विधायक अजीत जोगी की मरवाही सीट और उनकी विधायक पत्नी डा रेणु जोगी की कोटा सीट पर घमासान की स्थिति निर्मित नहीं हुई है। मरवाही से बूँदकुंवर और ओमवती पेन्द्रो और कोटा से नीरजा द्विवेदी की दावेदारी हाशिये पर है। महंत गुट के दबाव के कारण जोगी पुत्र अमित की बेलतरा सीट से टिकट की दावेदारी भी कमजोर पड़ गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चरण दास महंत के समर्थक बसंत शर्मा, भुवनेश्वर यादव और बैजनाथ चंद्राकर की दावेदारी अमित जोगी पर भारी पड़ रही है। बिलासपुर सीट से महापौर श्रीमती वाणी राव की दावेदारी सर्वाधिक मजबूत होने के कारण उनकी टिकट लगभग तय है। फिर भी अशोक अग्रवाल और महंत समर्थक अटल श्रीवास्तव टिकट के जुगाड़ में दिल्ली में डटे हुए हैं। बिल्हा सीट से पिछली बार हारे सियाराम कौशिक को अजीत जोगी इस बार फिर टिकट दिलाने अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगा दी है। तो वहीं चरण दास महंत अपने युवा सिपहसलार राजेन्द्र शुक्ला को टिकट दिलाने जुटे है। महंत तखतपुर सीट से अपने खासमखास चेले आशीष सिंह ठाकुर को भी खडा करने की जुगत में हैं। सतनामी वर्चस्व वाले मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र  से भी दावेदार दिलीप लहरिया, जयंत मनहर, राजेश्वर भार्गव आदि गुटीय प्रतिद्वंदिता में उलझे हुए हैं। यहाँ भी जोगी महंत गुट आमने सामने है। इस बार भी जिसकों टिकट नहीं मिलेगी वह अपने दल बल के साथ अधिकृत कांग्रेस प्रत्याशी को हराने उसके खिलाफ भितरघात करने- कराने से नहीं चुकेगा।           .
कांग्रेस जैसी गुटीय प्रतिस्पर्धा और टांग खिंचाई  इस बार भाजपा के टिकट दावेदारों में भी दिखाई दे रही है। अपवाद स्वरूप केवल बिलासपुर विधान सभा क्षेत्र में नगरीय प्रशासन मंत्री अमर अग्रवाल और बिल्हा विधान सभा क्षेत्र में स्पीकर धरम लाल कौशिक के सियासी वर्चस्व के चलते इन दोनों सीट से टिकट माँगने कोई भी भाजपाई हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। जबकि जिले की बाकी पाँचों सीट पर दावेदारों की असंतुष्ट फ़ौज खड़ी हो गई है। यहाँ भाजपा में टिकट को लेकर घमासान मचा हुआ है। इस बार बेलतरा, मस्तूरी और तखतपुर विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायकों को टिकट कटने का खतरा नजर आ रहा है। इन तीनों सीट से टिकट माँगने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है। बेलतरा से भाजपा के जिला अध्यक्ष राजा पाण्डेय समेत दस ब्राह्मण भाजपा नेताओं ने दावेदारी रखी है। कोटा सीट से नए चेहरे की तलाश भाजपा को है। बेलतरा और तखतपुर विधानसभा क्षेत्र में प्रत्याशी बदलने संगठन के दिग्गजों ने रणनीति बनाई है। इसकी भनक लगने के बावजूद भाजपा के बुजुर्ग विधायक बद्रीधर दीवान तथा अधेड़ विधायक राजू क्षत्री ने पर्यवेक्षकों और संगठन से फिर चुनाव लडऩे की मंशा जताई है और जीत का दावा भी किया है। श्री दीवान ने यहां तक कह दिया कि यदि उन्हे टिकट नहीं मिलती है तो उनके बेटे विजयधर दीवान को चुनाव लड़ाया जाए। वहीं राजू क्षत्री ने टिकट कटने की आशंका से अपनी पत्नी सुनिता क्षत्री का नाम आगे बढ़ाया है। वैसे तखतपुर से हर्षिता पाण्डेय और जगजीत मक्कड़ ने भी अपनी दावेदारी पेश की है।
इस बार भाजपा में टिकट वितरण को लेकर संगठन और दिग्गज नेता असमंजस की स्थिति में है। बेलतरा सीट से भाजपा की राष्ट्रीय नेता करूणा शुक्ला को टिकट दिलाने उनके समर्थक अड़े हुए हैं। वहीं आरएसएस की ओर से प्रफुल्ल शर्मा का नाम सामने आया है। तखतपुर से भाजपा के प्रदेश महामंत्री और धरम लाल कौशिक के साथी भूपेन्द्र सवन्नी को टिकट मिलने की संभावना प्रबल है लेकिन बाहरी होने का विरोध यहां हो सकता है। मस्तूरी से श्रीमती चांदनी भारद्वाज (जांजगीर की सांसद श्रीमती कमला पाटले की पुत्री) की दावेदारी भी प्रमुख रूप से मुखर हुई है।
कोटा विधानसभा क्षेत्र से इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष अंजना मुलकलवार ने दावेदारी पेश की है। पिछले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी डा रेणु जोगी से हारे बिलासपुर निवासी मूलचंद खंडेलवाल का नाम इस दफे फिर उनके मित्र और मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने सुझाया है। पर्यवेक्षकों के सामने भाजपा के स्थानीय नेताओं ने भी यहां से टिकट की दावेदारी पेश की है। भाजपा ने अब तक मरवाही से प्रत्याशी को लेकर पत्ते नहीं खोले हैं। मरवाही से इस बार गंभीर सिंह भाजपा के प्रत्याशी हो सकते हैं।

-दिनेश ठक्कर "बापा"

दैनिक दबंग दुनिया में बिलासपुर से संबंधित प्रकाशित मेरी रपट


बुधवार, 2 अक्तूबर 2013

बिलासपुर की मेयर ने अफसरों के खिलाफ खोला मोर्चा

बिलासपुर नगर पालिक निगम की सामान्य सभा के विशेष सम्मलेन के बाद निगम की राजनीति में उबाल आ गया है। विधान सभा चुनाव के मद्देनजर महापौर और भाजपा पार्षदों की सियासी खींचतान बढ़ गई है। नगरीय प्रशासन मंत्री और स्थानीय भाजपा विधायक अमर अग्रवाल की शह पर भाजपा पार्षदों ने तीन अक्टूबर को होने वाली सामान्य सभा में महापौर को व्यापार विहार के विवादित भूखंड के मामले में घेरने रणनीति तैयार कर ली है। जबकि महापौर ने भी मंत्रालय और संभाग आयुक्त को विशेष सम्मेलन बाबत अपनी शिकायत भेजी है।
सोमवार को टाउन हाल में हुए नगर पालिक निगम की सामान्य सभा के विशेष सम्मेलन की वैधानिकता को लेकर नाराज महापौर श्रीमती वाणी राव ने मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने एकतरफा संपन्न हुए विशेष सम्मलेन को अवैध बताते हुए यह मामला मंत्रालय तक पहुंचा दिया है। उन्होंने मुख्य सचिव सुनील कुमार, नगरीय प्रशासन सचिव एमके राउत और बिलासपुर संभाग आयुक्त को शिकायती पत्र भेज कर पारित सभी प्रस्तावों को निरस्त किये जाने की मांग की है। उन्होंने अपने शिकायती पत्र में सवाल उठाया है कि संभाग आयुक्त से आदेश करा कर नगर निगम के अधिकारियों को विशेष सम्मेलन बुलाने की आवश्यकता क्यों पड़ गई। ऐसी कौन सी आपदा आ गई। महापौर ने निगम आयुक्त अवनीश शरण, निगम सचिव उमाशंकर शर्मा और सभापति अशोक विधानी पर निगम एक्ट के खिलाफ जाकर अवैध रूप से विशेष सम्मलेन कराने और नियम विरूद्ध प्रस्तावों को पारित कराने का आरोप लगाया है। महापौर के कथन के मुताबिक़ विशेष सम्मेलन में निर्धारित एजेंडे से बाहर अतिरिक्त प्रस्ताव पर चर्चा कराये जाने का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए सभी पारित प्रस्तावों को रद्द कर दिया जाना चाहिए।
इसके अलावा अपनी ही पार्टी के गुटीय पार्षदों के विरोध से जूझ रही महापौर ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चरणदास महंत से भी मिल कर विशेष सम्मलेन को अवैध करार देते हुए उन्हें राज्य और नगर पालिक निगम के अधिकारियों के कारनामों से अवगत कराया। नगर पालिक निगम  एक्ट के होने वाले उल्लंघन का ब्यौरा भी दिया। साथ ही महापौर ने गुट विशेष से जुड़े कांग्रेसी पार्षदों द्वारा वाक आउट में उनका साथ न दिए जाने पर भी रोष जताया और तीन अक्टूबर को आयोजित सामान्य सभा के लिए सभी कांग्रेसी पार्षदों को व्हीप जारी करने का अनुरोध किया।
सनद रहे कि सोमवार को महापौर और एमआईसी मेंबर के वाक आउट के बाद भी आधे घंटे तक उनके विरोधी छह कांग्रेसी पार्षद सदन में बैठे रहे। यह असहयोग महापौर को नागवार गुजरा है। महापौर के मुताबिक़ इससे कांग्रेस की एकजुटता खंडित और छवि धूमिल हुई है। महापौर ने अपने खिलाफ अगले कुछ दिनों में संभावित कानूनी कार्रवाई और राज्य सरकार द्वारा उन्हें  बर्खास्त किये जाने की रणनीति बनाए जाने के मद्देनजर कांग्रेस आलाकमान को भी इस पूरे मामले का ब्यौरा भेजा है। ताकि पार्टी स्तर पर उनका बचाव हो सके और विधान सभा चुनाव के लिए बिलासपुर से टिकट की दावेदारी भी प्रभावित न हो सके। .

-दिनेश ठक्कर "बापा"  .