मसलों से जुड़े वादों को
पूरा होते कभी न देखा
सिर्फ चलती है जुबान
जुबान का पक्का न देखा
आसमां पर उछलते वादे
जमीं पर ठहरते न देखा
मज़लिसों में किए वादे
अवाम में फलते न देखा
भूख प्यास वाले मसले
सुलझते कभी न देखा
दिखाए गए कई सपने
सच में बदलते न देखा
बातदबीरों को मजमे में
सच्ची बातें करते न देखा
ख़ुदगर्जों की इस भीड़ में
जमीर वाला कोई न देखा
मुदब्बिरों की जमात में
ईमानदार चेहरा न देखा
सियासतदां की आंखों में
सच्चे आंसू कभी न देखा
तख़्तनशीन होने के बाद
वादे निभाते कभी न देखा
मुक़तदिर हो जाने के बाद
मुक़द्दस होते कभी न देखा !
@ दिनेश ठक्कर बापा
(चित्र गूगल से साभार)
पूरा होते कभी न देखा
सिर्फ चलती है जुबान
जुबान का पक्का न देखा
आसमां पर उछलते वादे
जमीं पर ठहरते न देखा
मज़लिसों में किए वादे
अवाम में फलते न देखा
भूख प्यास वाले मसले
सुलझते कभी न देखा
दिखाए गए कई सपने
सच में बदलते न देखा
बातदबीरों को मजमे में
सच्ची बातें करते न देखा
ख़ुदगर्जों की इस भीड़ में
जमीर वाला कोई न देखा
मुदब्बिरों की जमात में
ईमानदार चेहरा न देखा
सियासतदां की आंखों में
सच्चे आंसू कभी न देखा
तख़्तनशीन होने के बाद
वादे निभाते कभी न देखा
मुक़तदिर हो जाने के बाद
मुक़द्दस होते कभी न देखा !
@ दिनेश ठक्कर बापा
(चित्र गूगल से साभार)