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मंगलवार, 20 मई 2014

कृपा नहीं है मां की सेवा

कृपा नहीं है मां की सेवा
दायित्व है यह हर बेटे का
फर्ज़ को न बनाए दिखावा
कर्ज चुकाना है ममत्व का

मां तो मां होती है, वह
अपनी हो या भारत मां
सेवा से छूना है आसमां
हो गई है अब नई सुबह
कृपा नहीं है मां की सेवा…

समय ने ली है नई करवट
चमकी लोकतंत्र की चौखट
नमन से की आस्था प्रकट
मिटेंगी अब तो हर सिलवट
कृपा नहीं है मां की सेवा…

हम चले अब चलेगा देश भी
आशा से पलकों पर बिठाया
आंसू छलके गला भर आया
पोछना है आंसू गरीबों के भी
कृपा नहीं है मां की सेवा …

हमें तो जीना है देश के लिए
होगी परिश्रम की पराकाष्ठा
भारत मां के प्रति है निष्ठा
काम करेंगे गरीबों के लिए
कृपा नहीं है मां की सेवा....

उम्मीदों ने बनाया है बड़ा
चौतरफा साफ हुआ सूपड़ा
कारवां अब तो है चल पड़ा
आशाओं का पहाड़ है खड़ा
कृपा नहीं है मां की सेवा...

- दिनेश ठक्कर "बापा"
  (चित्र : गूगल से साभार) 

शनिवार, 17 मई 2014

मां गंगा ने है हमें बुलाया

मां गंगा ने है हमें बुलाया
काशी का बदलेंगे नजारा
गंदगी न फैलाएंगे दुबारा
सफाई का भरोसा दिलाया

दशाश्वमेघ घाट की कसम
काशी को बदलेंगे अब हम
मां गंगा की होगी पवित्र धार
न बहेगी कोई गंदगी इस पर
मां गंगा ने है हमें बुलाया....

बिन मांगे मां गंगा ने दिया
विश्वनाथ ने आशीर्वाद दिया
काशी ने है भरोसा जताया
कुछ करने का समय आया
मां गंगा ने है हमें बुलाया…

नसीब में मां गंगा की सेवा
स्वच्छता को दिया बुलावा
देश की गंदगी भी होगी दूर
अच्छे दिन तो आएंगे जरूर
मां गंगा ने है हमें बुलाया…

-दिनेश ठक्कर "बापा"
(चित्र : गूगल से साभार)

शुक्रवार, 2 मई 2014

सच

सबसे कहता रहा है यह बापा
शोहरत मिले तो ना इठलाना
बुलंदियों को नहीं है टिकना
ऊंची इमारतों को है ढह जाना

ईमान बड़ा खज़ाना है बापा
धन दौलत को है आना जाना
अमीरी से कभी ना इतराना
राजा को भी है रंक बन जाना

आया तो खाली हाथ था बापा
इस सच को सदा याद रखना
कभी दोनों हाथ से ना लूटना
एक दिन खाली हाथ है जाना

इंसानियत ज़िंदा रखना बापा
जल जंगल जमीन को बचाना
अपनी मिट्टी का कर्ज चुकाना
आख़िर तो मिट्टी में है मिलना

-दिनेश ठक्कर "बापा"