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मंगलवार, 17 सितंबर 2013

कोप भवन से निकल कर आडवाणी ने किया नमो जाप

 भारतीय जनता पार्टी  के शीर्ष नेतृत्व द्वारा प्रधानमंत्री पद के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम का एलान करते ही रूठ कर कोप भवन में जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी को आखिरकार नमो जाप करना ही पड़ा। सोमवार को छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान कोरबा में हसदेव थर्मल पॉवर प्लांट की सबसे बड़ी ५०० मेगावाट की यूनिट के उद्घाटन समारोह और बिलासपुर जिले के अरपा भैसाझार बैराज परियोजना के भूमिपूजन और शिलान्यास  के बाद जन सभा में भाजपा के वरिष्ट नेता और प्रधानमंत्री पद के आकांक्षी रहे लालकृष्ण आडवाणी  ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ में जिस अंदाज में कसीदे गढ़े उससे भाजपा और आरएसएस के नेताओं ने राहत की सांस ली है।  श्री आडवाणी ने संघम शरणम गच्छामि की तर्ज पर नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा कर सियासी गलियारों में चल रहे कयासों पर फिलहाल अल्पविराम लगा दिया है।
श्री आडवाणी  ने कोरबा में अपने भाषण की शुरुआत बिजली की समस्याओं पर केन्द्रित की। छत्तीसगढ़ में बिजली के क्षेत्र में होने वाली तरक्की पर राज्य के मुख्यमंत्री डॉ  रमन  सिंह की पीठ भी थपथपाई। उन्होंने विषयांतर होते हुए नरेन्द्र मोदी के सन्दर्भ में कहा कि  मेरे साथी नरेन्द्र मोदी को पार्टी ने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है। गुजरात ने मोदी के नेतृत्व  में तेजी से विकास किया है। वहां बिजली की किल्लत नहीं है। गुजरात सहित भाजपा शासित राज्यों में सुशासन है। नरेन्द्र मोदी के पक्ष में इस अप्रत्याशित तारीफ को सुनकर मंच पर उपस्थित नेतागण और सामने बैठे कार्यकर्ताओं सहित प्रबुद्ध श्रोतागण चौक उठे। इसी तरह जब कोरबा में  मंच से उतरते समय आडवाणी  को मीडिया  ने ज्वलंत सियासी सवालों से घेरना चाहा तो वे तत्काल मीडिया की मंशा को भांप गए। उन्होंने नरेन्द्र मोदी से जुड़े एक ही सवाल का जवाब देकर किनारा कर लिया। उन्होंने जवाब में अपने भाषण में दिए गए भाव को ही उद्धृत किया।
श्री आडवाणी  बिलासपुर जिले में अरपा भैसाझार  बैराज परियोजना के भूमिपूजन और शिलान्यास के बाद हुई जन सभा में भी नमो जाप करने से नहीं चूकें। यहाँ उन्होंने कहा कि  नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद गुजरात राज्य की तरह देश भर में अच्छा काम होगा। यहाँ भी श्री आडवाणी अपने भाषण के दौरान बार बार विषयांतर हो रहे थे। सबसे पहले वे  छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण में अपनी स्वयं की भूमिका का उल्लेख करते हुए अपने मुंह मियां मिट्ठू बने और फिर एकाएक अंग्रेज शासनकाल के दौरान तात्कालीन सेन्ट्रल रेलवे की कार्यप्रणाली की आलोचना शुरू कर बैठे। उसके बाद उन्होंने आजादी के बाद भाषा के आधार पर बनाए  जाने वाले प्रान्तों को लेकर कांग्रेस सरकार की भी खिंचाई की। जब आडवाणी नरेन्द्र मोदी के पक्ष में बोल रहे थे तो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह उन्हें टकटकी लगाकर देख रहे थे। मंच में किनारे बैठी क्षेत्रीय कांग्रेस विधायक डॉ  रेणु  जोगी भी मुस्कुरा उठी। मीडिया और उपस्थित जनसमूह में भी श्री आडवाणी  के अप्रत्याशित नमो जाप को लेकर जमकर चर्चा रही। रविवार की शाम तक मीडिया और सियासी गलियारों में यह कयास भी लगाया जा रहा था कि  श्री आडवाणी  का छत्तीसगढ़ प्रवास उनकी नाराजगी के चलते रद्द हो सकता है। श्री आडवाणी  ने छत्तीसगढ़ में आकर जिस अंदाज में अपने भाषण में नमो जाप किया उससे अब यह संकेत मिल गया है कि  वे संघ की लक्ष्मण रेखा को फिलहाल बलात पार करने के मूड में कतई नहीं हैं। भाजपा के वरिष्ट नेता होने के नाते उनकी यह मजबूरी भी साबित हुई है हालांकि बिलासपुर जिले के कार्यक्रम के बाद जिस अंदाज में उन्होंने मीडिया  से कन्नी काटी उससे यह भी सिद्ध हुआ कि वे सीधे तौर पर नरेन्द्र मोदी के खिलाफ में कोई भी बाईट देने का जोखिम उठाना नहीं चाहते हैं।
गौरतलब है कि  श्री आडवाणी  अपने भाषण के दौरान जब जब नरेन्द्र मोदी का जिक्र करते थे तब तब वे उन्हीं के समानान्तर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन  सिंह , मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का भी गुणगान करने से नहीं चूके। यह उनकी कूटनीतिक  चाल थी अथवा कुछ और सियासी दांव। अब देखना यह है कि  आगे चलकर ऊंट किस करवट बैठेगा। उन्होंने बिलासपुर जिले के कार्यक्रम में कुदाली चला कर जो गड्ढा खोदा है, वह किसके लिए इस्तेमाल होगा, यह तो वक्त ही बताएगा।

- दिनेश ठक्कर "बापा"

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