
छत्तीसगढ़ विधान सभा चुनाव की तारीख के ऐलान के साथ आदर्श आचार संहिता लागू होते ही शुक्रवार की शाम से सियासी गतिविधियां तेज हो गई है। बिलासपुर जिले की विधानसभा सीटों में मतदान दूसरे चरण यानी19 नवम्बर को होगा। इसके मद्देनजर भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी चयन की कवायद भी एकाएक तेज हो गई है। जिले में कांग्रेस की मानिंद इस बार भाजपा के टिकट दावेदारों का असंतोष भी पर्यवेक्षकों के समक्ष खुलकर मुखर हुआ है। दोनों दलों में दो तीन सीटों को छोड़ कर बाकी सीटों के लिए दावेदारों की कतार लग गई है। टिकट पाने की जुगत अब परस्पर टांग खिंचाई में तब्दील हो गई है।
बिलासपुर जिले में सात विधानसभा सीट आती है। इसमें पांच सामान्य सीट बिलासपुर, बेलतरा, बिल्हा, तखतपुर और कोटा है, जबकि दो सुरक्षित सीट मस्तूरी (अनुसूचित जाति) और मरवाही (अनुसूचित जनजाति) है। मुंगेली और लोरमी विधान सभा सीट अब नए बने जिले मुंगेली में चली गई है। हालांकि बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत यह दोनों सीट आती है, जबकि मरवाही विधानसभा क्षेत्र कोरबा लोकसभा क्षेत्र में शामिल है। इस प्रकार बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र के तहत कुल आठ विधानसभा क्षेत्र शामिल है। इसलिए इन सबका सियासी जिला मुख्यालय बिलासपुर ही रहता है। टिकट दावेदारों की टोह लेने और उनकी मंशा जानने दोनों दलों के पर्यवेक्षक बिलासपुर में ही डेरा डालते हैं।
जहां तक कांग्रेस के टिकट के दावेदारों की होड़ का मसला है, तो विधायक अजीत जोगी की मरवाही सीट और उनकी विधायक पत्नी डा रेणु जोगी की कोटा सीट पर घमासान की स्थिति निर्मित नहीं हुई है। मरवाही से बूँदकुंवर और ओमवती पेन्द्रो और कोटा से नीरजा द्विवेदी की दावेदारी हाशिये पर है। महंत गुट के दबाव के कारण जोगी पुत्र अमित की बेलतरा सीट से टिकट की दावेदारी भी कमजोर पड़ गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चरण दास महंत के समर्थक बसंत शर्मा, भुवनेश्वर यादव और बैजनाथ चंद्राकर की दावेदारी अमित जोगी पर भारी पड़ रही है। बिलासपुर सीट से महापौर श्रीमती वाणी राव की दावेदारी सर्वाधिक मजबूत होने के कारण उनकी टिकट लगभग तय है। फिर भी अशोक अग्रवाल और महंत समर्थक अटल श्रीवास्तव टिकट के जुगाड़ में दिल्ली में डटे हुए हैं। बिल्हा सीट से पिछली बार हारे सियाराम कौशिक को अजीत जोगी इस बार फिर टिकट दिलाने अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगा दी है। तो वहीं चरण दास महंत अपने युवा सिपहसलार राजेन्द्र शुक्ला को टिकट दिलाने जुटे है। महंत तखतपुर सीट से अपने खासमखास चेले आशीष सिंह ठाकुर को भी खडा करने की जुगत में हैं। सतनामी वर्चस्व वाले मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र से भी दावेदार दिलीप लहरिया, जयंत मनहर, राजेश्वर भार्गव आदि गुटीय प्रतिद्वंदिता में उलझे हुए हैं। यहाँ भी जोगी महंत गुट आमने सामने है। इस बार भी जिसकों टिकट नहीं मिलेगी वह अपने दल बल के साथ अधिकृत कांग्रेस प्रत्याशी को हराने उसके खिलाफ भितरघात करने- कराने से नहीं चुकेगा। .
कांग्रेस जैसी गुटीय प्रतिस्पर्धा और टांग खिंचाई इस बार भाजपा के टिकट दावेदारों में भी दिखाई दे रही है। अपवाद स्वरूप केवल बिलासपुर विधान सभा क्षेत्र में नगरीय प्रशासन मंत्री अमर अग्रवाल और बिल्हा विधान सभा क्षेत्र में स्पीकर धरम लाल कौशिक के सियासी वर्चस्व के चलते इन दोनों सीट से टिकट माँगने कोई भी भाजपाई हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। जबकि जिले की बाकी पाँचों सीट पर दावेदारों की असंतुष्ट फ़ौज खड़ी हो गई है। यहाँ भाजपा में टिकट को लेकर घमासान मचा हुआ है। इस बार बेलतरा, मस्तूरी और तखतपुर विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायकों को टिकट कटने का खतरा नजर आ रहा है। इन तीनों सीट से टिकट माँगने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है। बेलतरा से भाजपा के जिला अध्यक्ष राजा पाण्डेय समेत दस ब्राह्मण भाजपा नेताओं ने दावेदारी रखी है। कोटा सीट से नए चेहरे की तलाश भाजपा को है। बेलतरा और तखतपुर विधानसभा क्षेत्र में प्रत्याशी बदलने संगठन के दिग्गजों ने रणनीति बनाई है। इसकी भनक लगने के बावजूद भाजपा के बुजुर्ग विधायक बद्रीधर दीवान तथा अधेड़ विधायक राजू क्षत्री ने पर्यवेक्षकों और संगठन से फिर चुनाव लडऩे की मंशा जताई है और जीत का दावा भी किया है। श्री दीवान ने यहां तक कह दिया कि यदि उन्हे टिकट नहीं मिलती है तो उनके बेटे विजयधर दीवान को चुनाव लड़ाया जाए। वहीं राजू क्षत्री ने टिकट कटने की आशंका से अपनी पत्नी सुनिता क्षत्री का नाम आगे बढ़ाया है। वैसे तखतपुर से हर्षिता पाण्डेय और जगजीत मक्कड़ ने भी अपनी दावेदारी पेश की है।
इस बार भाजपा में टिकट वितरण को लेकर संगठन और दिग्गज नेता असमंजस की स्थिति में है। बेलतरा सीट से भाजपा की राष्ट्रीय नेता करूणा शुक्ला को टिकट दिलाने उनके समर्थक अड़े हुए हैं। वहीं आरएसएस की ओर से प्रफुल्ल शर्मा का नाम सामने आया है। तखतपुर से भाजपा के प्रदेश महामंत्री और धरम लाल कौशिक के साथी भूपेन्द्र सवन्नी को टिकट मिलने की संभावना प्रबल है लेकिन बाहरी होने का विरोध यहां हो सकता है। मस्तूरी से श्रीमती चांदनी भारद्वाज (जांजगीर की सांसद श्रीमती कमला पाटले की पुत्री) की दावेदारी भी प्रमुख रूप से मुखर हुई है।
कोटा विधानसभा क्षेत्र से इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष अंजना मुलकलवार ने दावेदारी पेश की है। पिछले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी डा रेणु जोगी से हारे बिलासपुर निवासी मूलचंद खंडेलवाल का नाम इस दफे फिर उनके मित्र और मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने सुझाया है। पर्यवेक्षकों के सामने भाजपा के स्थानीय नेताओं ने भी यहां से टिकट की दावेदारी पेश की है। भाजपा ने अब तक मरवाही से प्रत्याशी को लेकर पत्ते नहीं खोले हैं। मरवाही से इस बार गंभीर सिंह भाजपा के प्रत्याशी हो सकते हैं।
-दिनेश ठक्कर "बापा"
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