
मुंबई के लेबरनम रोड, गांवदेवी पर स्थित दो मंजिला मणि भवन आज भी गांधी जी के सत्रह बरसों (वर्ष 1917 से 1934) के निवास की स्वर्णिम स्मृति संजोए हुए है। गांधी जी के सिद्धांतों, आदर्शों और गतिविधियों को सुरक्षित रखने गांधी स्मारक निधि ने 1955 में इस भवन को खरीद लिया था।

अन्य एक कमरे में चित्रावली है, जिसमें खास प्रसंगों की झांकियां बनाई गई है। तस्वीरें, पत्रों की नकलें, गांधी जी के और उन पर लिखे लेख भी रखे हुए हैं। गांधी जी की वस्तुओं, पोरबंदर के जन्म स्थल, साबरमती और सेवाग्राम कुटीर की प्रतिकृतियां भी रखी गई हैं। मणि भवन में गांधी जी पर बने दस्तावेजी चलचित्र भी दिखाए जाते हैं। उनके भाषणों के ग्रामोफोन रिकार्ड सुनाने की भी व्यवस्था है।
मणि भवन के प्रवेश द्वार के पास बिक्री केंद्र है। यहां गांधी जी की तस्वीरें, डाक टिकट, चंद्रक और मूर्तियों का विक्रय किया जाता है। हाल के मध्य में गांधी जी की एक कांसे की तख्ती है। इसके नीचे चार शिल्प कृतियां हैं। इसमें वे रचनात्मक प्रवृत्तियां उकेरी गई हैं, जिनसे गांधी जी को लगाव था। पुस्तकालय भी समृद्ध है। एक प्रभाग संदर्भ ग्रंथों का है और दूसरा घर ले जाने वाली किताबों का। इसमें गांधी जी से संबंधित किताबें शामिल हैं। पहली मंजिल पर पुस्तकालय का कुछ हिस्सा और सभागृह है। यहां गांधी जी पर अभ्यास- वर्तुलकी बैठकें, सभाएं, परिसंवाद आदि कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं। मणि भवन की छत भी ऐतिहासिक मायने रखती है। 4 जनवरी 1932 को गांधी जी जिस तंबू (शयन स्थल) से गिरफ्तार किए गए थे, वहां अभी उनकी कांसे की तस्वीर रखी गई है। ये सभी धरोहर प्रेरणा स्त्रोत हैं।
- दिनेश ठक्कर
(10 अगस्त 1997 को जनसत्ता, मुंबई की रविवारीय पत्रिका "सबरंग" में प्रकाशित)
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