सबसे कहता रहा है यह बापा
शोहरत मिले तो ना इठलाना
बुलंदियों को नहीं है टिकना
ऊंची इमारतों को है ढह जाना
ईमान बड़ा खज़ाना है बापा
धन दौलत को है आना जाना
अमीरी से कभी ना इतराना
राजा को भी है रंक बन जाना
आया तो खाली हाथ था बापा
इस सच को सदा याद रखना
कभी दोनों हाथ से ना लूटना
एक दिन खाली हाथ है जाना
इंसानियत ज़िंदा रखना बापा
जल जंगल जमीन को बचाना
अपनी मिट्टी का कर्ज चुकाना
आख़िर तो मिट्टी में है मिलना
-दिनेश ठक्कर "बापा"
शोहरत मिले तो ना इठलाना
बुलंदियों को नहीं है टिकना
ऊंची इमारतों को है ढह जाना
ईमान बड़ा खज़ाना है बापा
धन दौलत को है आना जाना
अमीरी से कभी ना इतराना
राजा को भी है रंक बन जाना
आया तो खाली हाथ था बापा
इस सच को सदा याद रखना
कभी दोनों हाथ से ना लूटना
एक दिन खाली हाथ है जाना
इंसानियत ज़िंदा रखना बापा
जल जंगल जमीन को बचाना
अपनी मिट्टी का कर्ज चुकाना
आख़िर तो मिट्टी में है मिलना
-दिनेश ठक्कर "बापा"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें