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शुक्रवार, 2 मई 2014

सच

सबसे कहता रहा है यह बापा
शोहरत मिले तो ना इठलाना
बुलंदियों को नहीं है टिकना
ऊंची इमारतों को है ढह जाना

ईमान बड़ा खज़ाना है बापा
धन दौलत को है आना जाना
अमीरी से कभी ना इतराना
राजा को भी है रंक बन जाना

आया तो खाली हाथ था बापा
इस सच को सदा याद रखना
कभी दोनों हाथ से ना लूटना
एक दिन खाली हाथ है जाना

इंसानियत ज़िंदा रखना बापा
जल जंगल जमीन को बचाना
अपनी मिट्टी का कर्ज चुकाना
आख़िर तो मिट्टी में है मिलना

-दिनेश ठक्कर "बापा"


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