अभिव्यक्ति की अनुभूति / शब्दों की व्यंजना / अक्षरों का अंकन / वाक्यों का विन्यास / रचना की सार्थकता / होगी सफल जब कभी / हम झांकेंगे अपने भीतर

शनिवार, 17 मई 2014

मां गंगा ने है हमें बुलाया

मां गंगा ने है हमें बुलाया
काशी का बदलेंगे नजारा
गंदगी न फैलाएंगे दुबारा
सफाई का भरोसा दिलाया

दशाश्वमेघ घाट की कसम
काशी को बदलेंगे अब हम
मां गंगा की होगी पवित्र धार
न बहेगी कोई गंदगी इस पर
मां गंगा ने है हमें बुलाया....

बिन मांगे मां गंगा ने दिया
विश्वनाथ ने आशीर्वाद दिया
काशी ने है भरोसा जताया
कुछ करने का समय आया
मां गंगा ने है हमें बुलाया…

नसीब में मां गंगा की सेवा
स्वच्छता को दिया बुलावा
देश की गंदगी भी होगी दूर
अच्छे दिन तो आएंगे जरूर
मां गंगा ने है हमें बुलाया…

-दिनेश ठक्कर "बापा"
(चित्र : गूगल से साभार)

कोई टिप्पणी नहीं: