लोकतंत्र के चंदन वन से कूच कर
टोपीधर भुजंगराज
अंध भक्तों की बस्ती में आ गए हैं
वे फन उठाए हुए हैं
उन्हें तुमसे
तुम्हें उनसे
परस्पर खतरा है
उन्होंने खतरा भांप लिया है
तुम्हें भी ज्ञान चक्षु खोलना होगा
उनसे ज्यादा सतर्क रहना होगा
तुम्हें भी अब सिर उठाना होगा
हाथ जोड़ना
फूल चढ़ाना
दूध पिलाना
बीन बजाना
मिथकीय मूर्खता बंद करना होगा
अंध विश्वास छोड़ना होगा
अन्यथा डंस लिए जाओगे
उनके जहर की मारकता समझना
अपने खून को नीला न होने देना
जिंदा इंसान की तरह ही जीना
अपने सोए जमीर को जगाओ
भीतर की आग को बाहर लाओ
फिर तुम देखना
जन आक्रोश की आग से डर कर
डराने वाले फन समेट कर
कैसे सरपट भाग कर
चूहे के बिल में छिप जाएंगे
टोपीधर भुजंगराज !
@ दिनेश ठक्कर बापा
(चित्र : गूगल से साभार)
टोपीधर भुजंगराज
अंध भक्तों की बस्ती में आ गए हैं
वे फन उठाए हुए हैं
उन्हें तुमसे
तुम्हें उनसे
परस्पर खतरा है
उन्होंने खतरा भांप लिया है
तुम्हें भी ज्ञान चक्षु खोलना होगा
उनसे ज्यादा सतर्क रहना होगा
तुम्हें भी अब सिर उठाना होगा
हाथ जोड़ना
फूल चढ़ाना
दूध पिलाना
बीन बजाना
मिथकीय मूर्खता बंद करना होगा
अंध विश्वास छोड़ना होगा

उनके जहर की मारकता समझना
अपने खून को नीला न होने देना
जिंदा इंसान की तरह ही जीना
अपने सोए जमीर को जगाओ
भीतर की आग को बाहर लाओ
फिर तुम देखना
जन आक्रोश की आग से डर कर
डराने वाले फन समेट कर
कैसे सरपट भाग कर
चूहे के बिल में छिप जाएंगे
टोपीधर भुजंगराज !
@ दिनेश ठक्कर बापा
(चित्र : गूगल से साभार)
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