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गुरुवार, 23 फ़रवरी 2017

कई चेहरे कई मुखौटे

कुर्सी पर काबिज होने तक बदल जाते हैं कई चेहरे
खुदगर्जी खातिर पहने जाते हैं अक्सर कई मुखौटे

सियासी मंच पर दिखते हैं उनके नकली किरदार
पर्दा गिरते ही सामने आ जाते है असली किरदार

जुमले उछालने में मुकाबला कोई कर सकता नहीं  
ख़िलाफत होने पर जुबां बंद करवाने से चुकते नहीं

नौटंकी उनकी देखने यहाँ गूंगे बहरे जुटते हैं ज्यादा
ऊपर वाला ही जाने उन्हें कितना हुआ होगा फायदा

वक्त अब आ गया है मिल कर उतारें उनके मुखौटे
जुम्हूरियत की सूरत संवारने दिखाएं असली चेहरे

@ दिनेश ठक्कर बापा
(चित्र गूगल से साभार)        




 
 

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