
अपना शोषण कराते रहेंगे
कब तक वे
दूसरों का बोझ उठाते रहेंगे
कब तक गधे
भूखे प्यासे रहते हुए भी
ताने और प्रहार सहते रहेंगे
कब तक यह सवाल
यक्ष प्रश्न बना रहेगा
लेकिन गधों के मालिक
यह अच्छी तरह जानते हैं
कि
जब तक गधे निर्भय होकर
स्वयं प्रतिकार नहीं करेंगे

तब तक वे आलापते रहेंगे
गधों की वफादारी का राग
और
पीढ़ियों तक बेबस गधों पर
शोषण का बोझ लादते रहेंगे
जिम्मेदारी से कार्य करने का
जुमला यदाकदा फेंकते रहेंगे
अपना प्रेरणा स्त्रोत भी बताएंगे
उन्हें घोड़ों के समकक्ष दर्शा कर
महानायक से प्रचारित करवाएंगे
अंततः
स्वार्थ पूरा होने पर दुलत्ती मारेंगे
खलनायक बन कर उलाहना देंगे
रेंकते रहेंगे कि
गधा, गधा ही रहेगा !
@ दिनेश ठक्कर बापा
(चित्र गूगल से साभार)
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