बिलासपुर (छत्तीसगढ़) से करीब तीस कि.मी. दूर स्थित विख्यात पुरातात्विक स्थल ताला गांव के देवरानी मंदिर के मुख्य द्वार के समीप जनवरी के दूसरे पखवाड़े,1988 में खुदाई के दौरान रूद्र शिव की अनूठी प्रतिमा प्राप्त हुई थी। लगभग पंद्रह सौ वर्ष पुरानी यह उर्द्धरेतन प्रस्तर प्रतिमा शिव के रौद्र रूप को दर्शाती है। यह विलक्षण और द्वैत व्यंजना से परिपूर्ण है, जो कि विश्व मूर्ति कला के इतिहास में अद्भुत भी है। इस प्रतिमा पर राष्ट्रीय स्तर पर सर्वप्रथम मेरा विश्लेष्णात्मक आलेख टाइम्स ऑफ इंडिया की लोकप्रिय रही पत्रिका "धर्मयुग", मुम्बई के 25 सितम्बर,1988 के अंक में प्रकाशित हुआ था। उस वक्त "धर्मयुग" के कार्यवाहक संपादक गणेश मंत्री जी थे। यह अंक धरोहर और यादगार स्वरूप आज भी मेरे संग्रह में सुरक्षित रखा है। इसकी छाया प्रति सुधि पाठक मित्रों के लिए यहां सादर प्रस्तुत है।
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