
सुनेंगे सबके दर्द भरे नाले
विकास करेंगे हम मतवाले
देश को हैं आगे बढ़ाने वाले
इधर बैठे या फिर बैठे उधर
हम चलेंगे सामूहिकता पर
हमें भरोसा नहीं संख्या पर
सबका भला करेंगे मिल कर
हम हैं उम्मीदों के रखवाले....
आशाओं को है पूरा करना
कसौटी पर है खरा उतरना
सिर ऊंचा कर आगे बढ़ना
सीना तान कर है चलना
हम हैं उम्मीदों के रखवाले....
अब हर हाथ को काम मिले
गरीबों का चूल्हा जरूर जले
लाचारों को भी शिक्षा मिले
आओ गांवों का जीवन बदलें
हम हैं उम्मीदों के रखवाले....
मजदूर किसान का हो भला
आंसू पोंछने का मौका मिला
आलोचना से है संबल मिला

हम हैं उम्मीदों के रखवाले....
अच्छाई के पथ पर हम चलें
बुराइयों को किनारे कर लें
भाईचारे के साथ गले मिले
हम हैं उम्मीदों के रखवाले....
-दिनेश ठक्कर "बापा"
(चित्र : गूगल से साभार)
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