* भाजपा की नई सरकार में अमर का बढ़ सकता है वजन
* बद्रीधर दीवान का बढ़ सकता है ओहदा
* रेणु और अमित जोगी बदल सकते हैं कांग्रेस की दशा-दिशा
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के सात विधानसभा क्षेत्रों में से तीन भाजपा और चार सीट कांग्रेस के हाथ आने से सियासी समीकरण में बदलाव के आसार दिख रहे हैं। बिलासपुर से लगातार चौथी बार जीत कर इतिहास रचने वाले अमर अग्रवाल और बेलतरा के बुजुर्ग भाजपा प्रत्याशी बद्रीधर दीवान की जीत की हैट्रिक से प्रदेश में इन दोनों का राजनैतिक कद बढ़ना तय माना जा रहा है। भाजपा की नई सरकार में अमर अग्रवाल का वजन बढ़ने की पूरी संभावना है। दीवान का ओहदा भी बढ़ सकता है। बिल्हा से दिग्गज भाजपा प्रत्याशी और विधान सभा अध्यक्ष धरम लाल कौशिक तथा मस्तूरी से भाजपा प्रत्याशी और पूर्व मंत्री डा.कृष्णमूर्ति की करारी हार का सीधा सियासी फायदा अमर अग्रवाल और बद्रीधर दीवान को मिलेगा। जबकि मरवाही से जिले समेत पूरे प्रदेश में रिकार्ड मतों से जीतने वाले जोगी पुत्र अमित और कोटा से तीसरी दफे विजयी जोगी की पत्नी डा. रेणु छत्तीसगढ़ कांग्रेस की दशा और दिशा बदलने में अब अहम भूमिका अदा कर सकती हैं। खुद अजीत जोगी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चरणदास महंत के कमजोर प्रदर्शन को भुनाने का कोई मौक़ा अब हाथ से जाने नहीं देंगे।

अमर अग्रवाल अपनी पिछली तीन चुनावी जीत से बनी साख को इस बार भी भुनाने में सफल रहे। वे शहर के निरंतर विकास के मुद्दे पर मतदाताओं का भरोसा जीतने कामयाब रहे। नागरिकों को सीवरेज प्रोजेक्ट से हुई परेशानियों से चिंतित और विचलित रहे अमर ने मदद का मरहम लगा कर नाराज लोगों को अपने पाले में कर लिया था। कांग्रेस प्रत्याशी महिला होने के कारण उन्होंने चुनाव प्रचार में रणनीति के तहत महिला कार्यकर्ताओं और महिला मतदाताओं को ज्यादा तव्वजो दी। बीते पांच साल के दौरान उन्होंने हर समाज समुदाय के प्रमुख लोगों से सतत संपर्क बनाये रखा। समाज के विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए अपनी विधायक निधि से लाखों रूपयों की सहायता राशि भी दी। अपने सिपहसलारों से यह जुमला भी प्रचारित कर रखा है कि "अमर भैय्या ने किसी को फायदा नहीं पहुँचाया है तो किसी का नुकसान भी नहीं किया है।" यह मिथक उनके नियोजित चुनाव प्रबंधन का एक हिस्सा है।बहरहाल, पिता स्वर्गीय लखीराम अग्रवाल की मजबूत राजनैतिक विरासत का लाभ लम्बे वक्त तक अमर अग्रवाल को मिलता रहा है लेकिन अब इन्होने स्वयं अपनी सुदृढ़ सियासी जमीन तैयार कर ली है। वित्त मंत्री रहने के दौरान उनके चर्चित इस्तीफा प्रकरण से हुआ सियासी गड्ढा भी कब का पट चुका है। आबकारी, स्वास्थ्य और नगरीय प्रशासन मंत्री रहते हुए अपने दामन को पाकसाफ रखने उन्हें काफी मशक्कत करनी पडी। लगातार चौथी बार जीत का झंडा लहराने वाले अब अमर कद्दावर भाजपा नेता के रूप में उभरे हैं। जाहिर है इस बार प्रदेश की नई सरकार में रमन सिंह उनका वजन बढ़ाने में कोई संकोच नहीं करेंगे। उनका दर्जा रमन मंत्रिमंडल में दूसरे नंबर के सदस्य बतौर रह सकता है।





अजीत जोगी ने इस बार मस्तूरी विधान सभा क्षेत्र से भी अपनी साख दांव पर लगा दी थी। उन्होंने यहाँ से कांग्रेस का टिकट नए चहेरे दिलीप लहरिया को दिलाया था। इस क्षेत्र के जनप्रिय लोक कलाकार दिलीप ने भाजपा सरकार के पूर्व मंत्री डा. कृष्णमूर्ति बांधी को 24146 मतों से करारी शिकस्त दी। दिलीप लहरिया को कुल 86509 और डा. कृष्णमूर्ति बांधी को 62363 वोट मिले। यहां कुल तेरह प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे थे। डा. बांधी की शर्मनाक हार की असली वजह क्षेत्र में उनकी निष्क्रियता, दुर्व्यवहार और दुष्कर्म संबंधी लगे आरोप को मानी जा रही है। विजयी दिलीप को भी संगठन में सक्रिय कराने की कवायद में अजीत जोगी जुटे हैं।
- दिनेश ठक्कर "बापा"
- दिनेश ठक्कर "बापा"