धरती कांपी, कांप उठी रूह
पल भर में सब कुछ तबाह
बड़ों के आशियाने
छोटों के ठिकाने
जमींदोज़ हुए जिंदगी के शामियाने
लाशों का अंबार लगा रूलाने
मलबे से झांकता नन्हा हाथ
उसे मिला मददगारों का साथ
बाहर निकाला दबा चमत्कार
मौत को झटका देकर
जिंदा निकली बालिका
बाहर निकाला शव मां का
गिरा था इनकी झोपड़ी पर
बगल का बड़ा बंगला
अफ़सोस
आपदा में भी बड़ों से दबने की नियति
पत्नी का शव देख कर हो गया वह विचलित
खुशी के आंसू निकले पुत्री से लिपट कर
हो गया वह निरूत्तर
जब मासूम बेटी ने रोते हुए पिता से पूछा -
मां क्यों नहीं बची?
@ दिनेश ठक्कर 'बापा"
(चित्र : गूगल से साभार)
पल भर में सब कुछ तबाह
बड़ों के आशियाने
छोटों के ठिकाने
जमींदोज़ हुए जिंदगी के शामियाने
लाशों का अंबार लगा रूलाने
मलबे से झांकता नन्हा हाथ
उसे मिला मददगारों का साथ
बाहर निकाला दबा चमत्कार
मौत को झटका देकर
जिंदा निकली बालिका
बाहर निकाला शव मां का
गिरा था इनकी झोपड़ी पर
बगल का बड़ा बंगला
अफ़सोस
आपदा में भी बड़ों से दबने की नियति
पत्नी का शव देख कर हो गया वह विचलित
खुशी के आंसू निकले पुत्री से लिपट कर
हो गया वह निरूत्तर
जब मासूम बेटी ने रोते हुए पिता से पूछा -
मां क्यों नहीं बची?
@ दिनेश ठक्कर 'बापा"
(चित्र : गूगल से साभार)
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