
दहशतगर्द आकाओं की मौत पर
जिंदा हैं अब भी उनकी हैवानियत
इसे बेख़ौफ़ मिटा सको तो बोलो
मुल्क का बहुत गरम है माहौल
बगावती जुबां उगल रही है आग
झुलस रहा है अवाम का अमन चैन
इस आग को बुझा सको तो बोलो
सच बोलने से तकलीफ तो होगी
इसके बावजूद बोल सको तो बोलो
वे लोग आमादा हैं जुबां काटने पर
अपना मुंह खोल सकते हो तो बोलो

दुश्मनों के कई हैं कच्चे झूठे चिट्ठे
इसे सच्चाई से खोल सको तो बोलो
उनके चाहने से बदलेगी नहीं हकीकत
भीतरी आवाज सुन सकते हो तो बोलो
यहां हैं जितने गुस्से से हुए लाल मुंह
उतनी हो रही हैं इन दिनों दोगली बातें
सच्चाई बयां करता मेरा मुंह बंद करा कर
सिर उठा कर सच बोल सकते हो तो बोलो
चौतरफा मचा हुआ है यहां कुतर्कों का शोर
गद्दारों की इस भीड़ में खुद को बुलंद कर
तर्कों के साथ आवाज उठा सको तो बोलो
दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दे सको तो बोलो
खरीद फ़रोख्त के इस सियासी बाजार में
हर कोई चाहता बोलना फायदे मुताबिक़
नफा नुकसान की सोच से ऊपर उठ कर
वतन की खातिर बोल सकते हो तो बोलो !
@ दिनेश ठक्कर बापा
(चित्र गूगल से साभार)
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