दिनेश की दुनिया
अभिव्यक्ति की अनुभूति / शब्दों की व्यंजना / अक्षरों का अंकन / वाक्यों का विन्यास / रचना की सार्थकता / होगी सफल जब कभी / हम झांकेंगे अपने भीतर
शुक्रवार, 19 दिसंबर 2014
आँसू हमारी आँखों में ही रहने दो
आँसू अपने गमों के हमारी आँखों में ही रहने दो
न जाने किस वक्त ये अंगारे बन खाक कर देंगे
हैवानों अब इंसानियत का लहू बहाना बंद कर दो
न जाने किस वक्त ये बारूद बन जमींदोज़ कर देंगे
@ दिनेश ठक्कर "बापा"
(सांकेतिक चित्र : गूगल से साभार)
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