
अपने पुत्र पर
कृपा करना इतनी
कि मरने से पहले
भले ही न कहलाऊं
पुरस्कृत नामी लेखक
किंतु देते रहना मुझे
ऐसे विचार और शब्द
कि मरने से पहले
पाठकों के लिए मैं
जीवंत छोड़ जाऊं
सार्थक और यथार्थ लेखन

इसका नहीं है कोई अफसोस
कि नहीं बन सका क्यों मैं
मां लक्ष्मी का उपासक
नहीं बना लिखे शब्दों से धनी
किंतु अपने पुत्र पर
कृपा करना इतनी
कि बन जाऊं मरने से पहले
सार्थक सच्चे शब्दों का धनी
हे मां सरस्वती
इच्छाओं की अंतिम यात्रा में
उच्चारित हो सृजित शब्द भी
मृत देह की अंत्येष्टि के पश्चात्

दीर्घायु बनाएं जीवंत शब्दों को
अंतिम अरदास और उठावना
सार्थक सच्चे शब्दों के साथ हो
चित्र के बदले मेरे कृतित्व पर
शब्दों के श्रद्धा सुमन अर्पित होंआंखों में अश्रुओं के स्थान पर
मेरे सृजित शब्दों की छवि हो
आंखों से आंसू न छलके बल्कि
जुबां से काव्य गीत निःसृत हो !
@ दिनेश ठक्कर बापा
(चित्र गूगल से साभार)
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