
अलगाववादी नारों से रंगी दीवारें
राजनीति प्रेरित पाठशालाओं की
बरगला रही हैं बौद्धिकता उनकी
परिसर बन गया सियासी अखाड़ा
दांव पेंच में उलझ गया है भविष्य
मोहरे बना दिए गए विद्यार्थी यहां
पसर चुका यहां देश द्रोह का जहर
मारक है विखंडता का धीमा विष
सभाओं में विलुप्त हो गया सद्भाव
बागी हो गई है आजाद अभिव्यक्ति
बदल रहे हैं अब आजादी के मायने
हथौड़ा मार रहे है ये देश भक्ति पर
हंसिए से काट रहे है ये राष्ट्रवाद को
हाशिए पर लाने तुले हैं देशप्रेम को
पढ़ाई और ज्ञानार्जन के बदले यहां
पढ़ाया जा रहा है पाठ राजनीति का
तैयार कर रहे हैं ये दलीय कार्यकर्त्ता
गुम हो गया है लक्ष्य विद्यार्थियों का
बज गई है खतरे की घंटी अब यहां
हो गई छुट्टी एकता अखण्डता की !
@ दिनेश ठक्कर बापा
(चित्र गूगल से साभार)
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