
वादों के विरूद्ध
भड़केगा आक्रोश
अन्याय के विरूद्ध न्याय
असत्य के विरूद्ध सत्य
रेवड़ियों के विरूद्ध हाथ
चरवाहे के विरूद्ध रेवड़
मुआवजे के विरूद्ध मेंड़
बेजा चिमनियों के विरूद्ध
भड़केगी भीतर की आग
दिखाए गए अंगूठे के विरूद्ध
दिखाएगी ताकत उंगलियां
गुस्से से निकलेगा जनादेश

जनतंत्र की संकरी गलियां
होगी साफ सुथरी अच्छे से
उड़ने वालों के पैरों तले
जाएगी खिसक जमीन
वादों की तरह
रुलाएगा जनता का निर्णय
दिखाए गए सपनों की तरह
सुलाएगी काँटों पर सच्चाई
आएगी पीड़ा समझ सबकी
उस समय !
@ दिनेश ठक्कर बापा
(चित्र गूगल से साभार)
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